खाद्य शृंखला क्या है| khadya shrinkhala kya hai (Food Chain)

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पारितंत्र में जीवों के बीच का संबंध जटिल होता है कई बार वे एक दूसरे का सहयोग करते हैं तो कई बार वे एक दूसरे से प्रतिस्पर्धा भी करते हैं और अक्सर ऐसा भी होता है कि कोई जीव किसी दूसरे जीव का आहार बन जाता है। जब प्रत्येक जीव किसी अन्य जीव का भोजन बन जाते हैं ऐसे एक दूसरे को खाने वाले जीवों का अनुक्रमण एक खाद्य श्रृंखला khadya shrinkhala (Food Chain) कहलाता है।

food chain meaning in hindi |food chain in hindi

खाद्य श्रृंखला वास्तव में जीवों के मध्य ऊर्जा के प्रवाह का एक माध्यम है अर्थात जब एक जीव किसी अन्य का भोजन बनता है तो अपने अंदर संग्रहित ऊर्जा को शिकारी को स्थानांतरण कर देता है।

khadya shrinkhala kise kahate hain

खाद्य श्रृंखला विभिन्न जीवों का वह क्रम है , जिसके द्वारा एक पारितंत्र में खाद्य ऊर्जा का प्रवाह होता है खाद्य श्रृंखला कहलाता है । खाद्य ऊर्जा का प्रवाह एक दिशीय होता । उदाहरण — पौधे → टिड्डा → मेढ़क → साँप → उल्लू

इसमें में पौधे भोजन का उत्पादन करते हैं । टिड्डा ← पौधे से भोजन प्राप्त करता है । फिर मेढ़क ← टिड्डा से भोजन प्राप्त करता है और फिर साँप ← मेढ़क से भोजन प्राप्त करता है । और उल्लू ← सांप से भोजन प्राप्त करता है । इस तरह से खाद्य ऊर्जा का प्रवाह एक दिशा में होता है ।

खाद्य श्रृंखला अधिक से अधिक 5 स्तर तक हो सकती है । क्योंकि हर स्तर पर उपभोक्ता केवल 10% ही संचित ऊर्जा को अपने शरीर में ले पाता है , और बाकि के 90% संचित ऊर्जा नुकसान हो जाता है । क्योंकि ऊर्जा का मुख्य स्रोत सूर्य है । ” उपभोक्ता द्वारा 10% संचित ऊर्जा के रूपान्तर को लिण्डमेन का 10% का सिद्धान्त कहा जाता है “ ।

उर्जा श्रृंखला सूर्य → उत्पादक → प्राथमिक उपभोक्ता → द्वितीयक उपभोक्ता → तृतीयक उपभोक्ता
उर्जा इकाई ( 10,000 ) → ( 100 ) → ( 10 ) → ( 1 ) → ( 0.1 )

खाद्य श्रृंखला में मूल उत्पादकों में अधिक से अधिक ऊर्जा मिलेगी और सर्वश्रेष्ठ श्रेणी के उपभोक्ता में सबसे कम ऊर्जा मिलेगी । इसी कारण ऊर्जा का पिरामिड हमेशा सीधा रहता है ।

 

उर्जा पिरामिड
अशिक्षित शिकारी (जैसे, सिंह, ओरका)


तृतीयक उपभोक्ता (जैसे, भेड़िया, गरुड़)


द्वितीयक उपभोक्ता (जैसे, लोमड़ी, बाज)


प्राथमिक उपभोक्ता (जैसे, खरगोश, कीट)


उत्पादक (जैसे, घास, पौधों, शैलजी)

food chain diagram in hindi

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उत्पादक (

परिभाषा — सभी पौधो को उत्पादक कहा जाता है । क्योंकि पौधे प्रकाश, कार्बन डाइ-ऑक्साइड और जल की सहायता से प्रकाश संश्लेषण की क्रिया द्वारा भोजन का निर्माण करते हैं । इसलिए इन्हे उत्पादक कहा जाता है । प्रकाश संश्लेषण की क्रिया के लिए पौधों में क्लोरोफिल पाया जाता है । जो पौधों के हरे रंग के लिए भी उत्तरदाई है ।

उपभोक्ता —

परिभाषा — सभी जन्तुओं को उपभोक्ता कहा जाता हैं । क्योंकि यह भोजन के लिए पेड़ पौधों पर निर्भर होते है इसलिए इन्हें उपभोक्ता कहा जाता है । क्योंकि यह भोजन स्वयं नहीं बना सकते है ।

खाद्य शृंखला में उपभोक्ता के प्रकार —

प्राथमिक उपभोक्ता —

परिभाषा — ये शाकाहारी जन्तु होते है और ये पेड़ पौधों को खाते है । इसलिए सभी जन्तु जो भोजन के लिए उत्पादक यानि वनस्पतियों पर निर्भर होते हैं उन्हें प्राथमिक श्रेणी के उपभोक्ता कहते है । जैसे – टिड्डा , बकरी , हिरण , गाय इत्यादि ।

द्वितीयक उपभोक्ता —

परिभाषा — ये मांसाहारी होते हैं और ये शाकाहारी जीवों को खाते हैं । इसलिए सभी जन्तु जो भोजन के लिए प्रथम श्रेणी के उपभोक्ताओं पर निर्भर होते हैं उन्हें द्वितीय श्रेणी के उपभोक्ता कहते है । जैसे – मेढ़क , बिल्ली , लोमड़ी इत्यादि ।

तृतीयक उपभोक्ता —

परिभाषा — ये उच्च स्तर के मांसाहारी होते हैं । और ये प्राथमिक उपभोक्ता या द्वितीयक उपभोक्ता को खाते हैं या फिर दोनों उपभोक्ताओं को खाते हैं । इसलिए इन्हे तृतीयक श्रेणी के उपभोक्ता कहते है । जैसे – शेर – हिरण और लोमड़ी को खाते है । और मोर , बाज , उल्लू – सांप को खाते है ।

खाद्य श्रृंखला के प्रकार (Types of Food Chain)

सामान्यतः खाद्य श्रृंखला के 2 प्रकार होते है।

1. चारण खाद्य श्रृंखला (Grazing Food Chain)

चराई खाद्य श्रृंखला उत्पादकों से होकर शाकभक्षियों, माँसभक्षियों एवं सर्वाहारियों तक जाती है। हर स्तर पर श्वसन, उत्सर्जन एवं विघटन द्वारा ऊर्जा का ह्वास होता जाता है। यह खाद्य श्रृंखला हरे पौधों से आरम्भ होती है तथा प्राथमिक उपभोक्ता शाकभक्षी होता है। उपभोक्ता जो भोजन के रूप में पौधों अथवा पौधों के भागों का उपयोग करके श्रृंखला आरम्भ करते हैं, चारण खाद्य श्रृंखला का निर्माण करते हैं।

  • उदाहरणः  घास → टिड्डा → पक्षीगण → बाज

2. अपरद खाद्य श्रृंखला (Detritus Food Chain)

अपरद खाद्य श्रृंखला, चराई खाद्य श्रृंखला के जीवों के मरने के बाद शुरू होती है। चराई श्रृंखला के जीव जब मरते हैं तो अपघटक उन पर एंजाइम छोड़कर क्रिया करते हैं।

अपघटक वे होते हैं, जो मृत जीवों पर निर्भर होते हैं जैसे-बैक्ट्रिया, कवक आदि सूक्ष्मजीव। ये प्राणी मृतकों को अपघटित करके उन्हें सरल पदार्थो में परिवर्तित कर देते हैं। अपघटकों की इस प्रक्रिया को अपघटन कहा जाता है। यह खाद्य श्रृंखला क्षय होते प्राणियों एवं पादप शरीर के मृत जैविक पदार्थों से आरम्भ होकर सूक्ष्मजीवों में तथा सूक्ष्मजीवों से अपरद खाने वाले जीवों एवं अन्य परभक्षियों में पहुँचती है।

  • उदाहरण:  कचरा → स्प्रिंगटेल (कीट) → छोटी मकड़ियाँ (मांसभक्षी)

अतः किसी पारिस्थितिकी तन्त्र में खाद्य श्रृंखला विभिन्न प्रकार के जीवधारियों का वह क्रम है जिससे जीवधारी भोज्य एवम् भक्षक के रूप में सम्बन्धित रहते है और इनमें होकर खाद्य ऊर्जा का प्रवाह एक ही दिशा (Uniderectional) में होता रहता है। प्राथमिक उत्पाद (हरे पौधे), प्रथम, द्वितीय, तृतीय श्रेणी के उपभोक्ता एवं अपघटनकर्ता (कवक एवं जीवाणु) आपस में मिलकर खाद्य श्रृंखला (Food Chain) का निर्माण करते है क्योंकि वे आपस में एक-दूसरे का भक्षण करते है और भक्षक या भोज्य के रूप में सम्बन्धित रहते है। खाद्य-श्रृंखला में ऊर्जा व रासायनिक पदार्थ-उत्पादक, उपभोक्ता, अपघटनकर्ता व निर्जीव प्रकृति में क्रम से प्रवेश करते रहते है और इनमें होते हुए चक्र में घूमते रहते है। किसी भी पारिस्थितिक तन्त्र की खाद्य श्रृंखला को निम्न प्रकार से दर्शाया जा सकता है।

एक अन्य मत के अनुसार खाद्यशृंखलाएँ तीन प्रकार की होती हैं-

  1. परभक्षी खाद्य श्रृंखला (Predator Food Chain): पौधों से छोटे जीव और बड़े जन्तुओं की ओर अग्रसर होती है।
  2. परजीवी खाद्य श्रृंखला (Parasitic Food Chain): पौधों से बड़े जन्तुओं और छोटे जीवों की ओर अग्रसर होती है।
  3. मृतोपजीवी खाद्य श्रृंखला (Saprophytic Food Chain): मृत प्राणियों से सूक्ष्म जीवों की ओर अग्रसर होती है। प्रत्येक भोजन श्रृंखला में उत्पादक एवं उपभोक्ता विद्यमान होते हैं।

(A) एक तालाब में पारिस्थितिकीय तन्त्र में खाद्य श्रृंखला के जीवधारियों का क्रम

  • उत्पादक → प्रथम श्रेणी के उपभोक्ता → द्वितीय श्रेणी के उपभोक्ता → तृतीय श्रेणी के उपभोक्ता → उच्च मांसाहारी उपभोक्ता.
  1. शैवाल → जलीय पिस्सू → छोटी मछली → बड़ी मछली → बगुला, बतख, सारस
  2. हरे पौधे → कीड़े मकोड़े → मेढ़क → साँप → बगुला, सारस

(B) घास स्थलीय पारिस्थितिकीय तन्त्र में खाद्य श्रृंखला के जीवधारियों का क्रम

  • घास → कीड़े मकोड़े, टिड्डे → चिड़िया, मेढ़क → बाज, पक्षी, साँप → गिद्ध

(C) वन पारिस्थितिक तन्त्र में खाद्य श्रृंखला के जीवधारियों का क्रम

  • उत्पादक → प्रथम श्रेणी के उपभोक्ता → द्वितीय श्रेणी के उपभोक्ता → तृतीय श्रेणी के उपभोक्ता → अंतिम उपभोक्ता या उच्च मांसाहारी
  • शाकीय पौधे → चूहे, गिलहरी → बिल्ली → जंगली कुत्ता
  • झाड़ियाँ → खरगोश → भेड़िया, लकड़बग्घा → शेर, चीता
  • वृक्ष → बन्दर, लंगूर → तेन्दुआ

एक उथले समुद्र के जीवों के समुदाय में सम्पूर्ण ऊर्जा का लगभग 80% भाग अपरद शृंखलाओं में प्रवाहित होता है।

पोषण स्तर चारागाह बायोम तालाब बायोम सागर बायोम
प्राथमिक उत्पादक घास शैवाल पादप प्लवक
प्राथमिक उपभोक्ता टिड्डा मच्छर लार्वा प्राणीमन्दप्लवक
द्वितीयक  उपभोक्ता चूहा ड्रैगनफ्लाई लार्वा मछली
तृतीयक उपभोक्ता साँप मछली सील
चतुर्थक उपभोक्ता बाज रेकून सफेद शाक

आहार शृंखला |food chain meaning in hindi

प्रकृति में खाद्य श्रृंखलाएँ पृथक न होकर एक दूसरे से जुड़ी हुई होती हैं अर्थात् आहार श्रृंखलाएँ सरल एवं रैखिक न होकर अत्यधिक जटिल हो जाती हैं जैसे एक अन्न पर निर्भर चूहा अनेक द्वितीयक उपभोक्ताओं का आहार है। अनेक द्वितीयक स्तर के माँसाहारी अनेक तृतीय स्तर वालों के भोजन हैं। इस प्रकार कई प्रकार के माँसाहारी जीव कई प्रकार के शिकार पर निर्भर होते हैं परिणामस्वरूप खाद्य श्रृंखलाएँ एक-दूसरे से जुड़ जाती हैं। प्रजातियों के इस परस्पर जुड़ाव को ही खाद्य जाल (Food Web) कहा जाता है।

food web meaning in hindi

“खाद्य जाल” एक प्रकृति के प्रणाली को दर्शाने के लिए है जिसमें दिखाया जाता है कि एक प्रजाति के जीव किस प्रकार से दूसरे जीवों को खाते हैं और इस प्रकार के भोजन के माध्यम से ऊर्जा और पोषण सामग्री का प्रवाह होता है। खाद्य जाल प्रणाली में ऊर्जा और सामग्री के फ्लो को समझने के लिए महत्वपूर्ण है।

खाद्य जाल किसे कहते हैं| khadya jaal kise kahate hain

खाद्य जाल (Food web) एक पारिस्थितिकी प्रणाली का हिस्सा होता है जो दिखाता है कि एक दिए गए पारिस्थितिकी में विभिन्न प्रजातियों के जीवों के बीच के खाद्य संबंध कैसे होते हैं और इसके माध्यम से ऊर्जा और पोषण सामग्री का प्रवाह कैसे होता है। यह एक प्रणाली का विवरण होता है जिसमें जीवों की जीवन की प्रक्रिया को समझने में मदद करता है और पारिस्थितिकी के अंदर ऊर्जा और पोषण सामग्री के प्रवाह को दिखाता है।

खाद्य जाल में प्रत्येक प्रजाति को उसके खाद्य स्रोतों और खाद्य उपभोक्ताओं के साथ दिखाया जाता है, जिससे प्रदर्शित होता है कि वह किस तरह से दूसरे जीवों से जीवन चलाता है और खाद्य स्रोत से ऊर्जा और पोषण सामग्री प्राप्त करता है। यह तबादला दिखाता है कि किस प्रकार पर्यावरण में विभिन्न प्रजातियों के बीच के संवाद के परिणामस्वरूप खाद्य श्रृंखलाएं बनती हैं और एक-दूसरे पर कैसे निर्भर होती हैं।

खाद्य जाल के माध्यम से हम यह समझ सकते हैं कि कौन-कौन से जीव किस प्रजाति के जीवों को खाते हैं और इसके परिणामस्वरूप प्राणियों के बीच खाद्य श्रृंखलाएं कैसे बनती हैं। यह पारिस्थितिकी में ऊर्जा और सामग्री के प्रवाह को समझने के लिए महत्वपूर्ण है, और यहाँ तक कि इससे हमें पारिस्थितिकी के संरचना और स्थिति को समझने में मदद मिलती है।

खाद्य जाल को परिभाषित कीजिए

एक खाद्य जाल एक पारिस्थितिकी में विभिन्न प्रजातियों के बीच के खाद्य संबंधों का ग्राफिक प्रतिनिधित्व होता है, जिसमें एक जीव दूसरे को खाते हैं और इसके माध्यम से ऊर्जा और पोषण सामग्री का अंतरण दिखाया जाता है।

आहार श्रृंखला, आहार जाल एवं जैवविविधता के बीच सम्बन्ध

आहार श्रृंखला तथा आहार जाल की प्रकृति किसी स्थान के परितंत्र की जैवविविधता (Biodiversity) की समृद्धि या निर्धनता पर निर्भर करती है अर्थात् किसी स्थान की जैव विविधता जितनी अधिक समृद्ध होगी वहाँ की आहार श्रृंखला एवं आहार जाल उतना ही अधिक लम्बे एवं जटिल होंगे। अगर किसी स्थान की आहार श्रृंखला सरल है तो वह परितंत्र अस्थिर तथा उसकी जैवविविधता निर्धनता का प्रतीक होगी।

khadya jaal ka chitra

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खाद्य श्रृंखला और खाद्य जाल में अंतर

खाद्य श्रृंखला (food chain in hindi):

  • खाद्य श्रृंखला एक प्रकार की हैरार्की होती है जो दर्शाती है कि कैसे एक प्राणी दूसरे प्राणी को खाकर उसकी आवश्यकताओं को पूरा करता है।
  • इसमें प्राणी जीवन के सभी जीवों की एक श्रृंखला होती है, जिसमें पौधों से लेकर जीवों तक के सभी जीव शामिल होते हैं।
  • खाद्य श्रृंखला में प्राणी जीवन की हर उंचाइ़ पर किसी न किसी तरह के प्राणी शामिल होते हैं, और यह दिखाती है कि किस प्रकार से जीवन एक से दूसरे के साथ जुड़ा होता है।

खाद्य जाल (Food Web in hindi):

  • खाद्य जाल खाद्य श्रृंखलाओं का एक विस्तार रूप होता है जो दर्शाता है कि वास्तव में जीवन कैसे संबंधित होता है और खाद्य श्रृंखलाओं के बहुत सारे पैटर्न हो सकते हैं।
  • इसमें विभिन्न प्राणी जीवों के बीच खाद्य श्रृंखलाओं का एक जाल होता है, जिसमें कई प्राणी जीव एक साथ अनेक तरीकों से खाने के अवसर पाते हैं।
  • खाद्य जाल विशेषतः प्राकृतिक पारिस्थितिकियों में अहम होता है, क्योंकि यह दिखाता है कि प्राणी और पौधों के बीच कैसे जीवन प्रक्रियाएँ संचलित होती हैं और एक बड़े पारिस्थितिक तंत्र का हिस्सा हैं।

किसानों और जीवों के बीच संबंध:

  • किसान खाद्य श्रृंखला का महत्वपूर्ण हिस्सा होते हैं, क्योंकि उन्होंने खेतों में पौधों की उपज करने की जिम्मेदारी लेते हैं, जिससे लोगों को भोजन प्राप्त होता है.
  • वे फसलें और पशुधन पालने के जरिए खाद्य श्रृंखला का हिस्सा बनाते हैं.
  • साथ ही, किसानों के कृषि प्रयासों का प्राकृतिक पारिस्थितिकी प्रणाली को भी प्रभावित कर सकता है, जैसे कि जलवायु परिवर्तन, प्रजातिक संरक्षण, और जैव विविधता के संरक्षण में.
  • जीवों का खाद्य श्रृंखला में अपना स्थान होता है, और उन्हें अपने प्राकृतिक वातावरण के हिस्से के रूप में खाद्य श्रृंखला का एक महत्वपूर्ण कोना मानना चाहिए.
  • जीवों की जीवन प्रक्रियाएँ और उनकी जीवन प्रतिस्पर्धा खाद्य श्रृंखला पर निर्भर करती हैं, जिससे खाद्य श्रृंखला का संरक्षण महत्वपूर्ण होता है.

इसके रूप में, किसानों और जीवों के बीच संबंध खाद्य श्रृंखला और पारिस्थितिकी के माध्यम से सबंधित होते हैं, और यह दिखाते हैं कि कैसे हमारा खाद्य प्रणाली और कृषि प्रथाओं का प्रबंध प्राकृतिक और सामाजिक पारिस्थितिकियों को प्रभावित कर सकता है।

खाद्य श्रृंखला तथा खाद्य जाल में तीन अंतर

पहलु खाद्य श्रृंखला खाद्य जाल
परिभाषा एक रूपी अनुक्रम जो दिखाता है कैसे एक जीव दूसरे जीव को खाने के लिए तलाश करता है। जटिल नेटवर्क जो दिखाता है कैसे कई जीवों के संबंध को जोड़ता है।
मुख्य धारा एक सीढ़ी श्रृंखला होती है जिसमें एक प्रकार की जीवों की छोटी से छोटी जीव से बड़े जीव तक जाता है। एक जीवी जाल जिसमें जीव एक दूसरे से जुड़े होते हैं, जिसमें खाद्य लड़ाखड़ा होता है और जीवों के संबंध का पूरा नक्शा दिखाता है।
संबंध खाद्य श्रृंखला और खाद्य जाल के मध्यम से जीवों के बीच के संबंध को दिखाता है। खाद्य जाल के माध्यम से जीवों के बीच के संबंध को दिखाता है।

यह तालिका खाद्य श्रृंखला और खाद्य जाल के मुख्य अंतर को दिखाता है।

 

 प्राकृतिक संरक्षण में योगदान

प्राकृतिक संरक्षण में खाद्य श्रृंखला और खाद्य जाल का महत्व:

  1. खाद्य श्रृंखला का प्राकृतिक संरक्षण (Conservation of Food Chains):
    • खाद्य श्रृंखला (Food chains) प्राकृतिक संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, क्योंकि यह जीवों के बीच खाद्य संबंधों को प्रतिनिधित्व करती है।
    • जब हम किसी जीव का पर्यापन बढ़ाते हैं, तो उसके प्राकृतिक शत्रुओं का भी पर्यापन बढ़ जाता है, जिससे वे खत्म हो सकते हैं। खाद्य श्रृंखला का संरक्षण करने से, हम प्राकृतिक संतुलन को बनाए रखने में मदद करते हैं।
    • उदाहरण: जब हम एक विशेष प्रकार के पक्षियों को अधिक से अधिक बचाते हैं, तो उनके प्राकृतिक शत्रुओं के पॉपुलेशन को नियंत्रित करने में मदद मिलती है, जैसे कि कीट, जो उनके खिलवाड़े कर सकती हैं।
  2. खाद्य जाल का प्राकृतिक संरक्षण (Conservation of Food Webs):
    • खाद्य जाल (Food webs) भी प्राकृतिक संरक्षण के प्रति महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह जीवों के आपसी संबंधों का अध्ययन करने में मदद करता है।
    • खाद्य जाल का अध्ययन करके, हम समझ सकते हैं कि एक जीव किस प्रकार से अपने पर्यापन को प्राप्त करता है और इसके द्वारा प्राकृतिक संतुलन को कैसे बनाए रखता है।
    • उदाहरण: एक नदी के खाद्य जाल का अध्ययन करने से, हम समझ सकते हैं कि वहाँ के प्राणियों के लिए कौनसी प्राकृतिक स्रोत खाद्य के रूप में महत्वपूर्ण हैं, और कौनसे प्राणी दूसरे प्राणियों के खाद्य श्रृंखला का हिस्सा बनते हैं।
  3. बायोडाइवर्सिटी और प्राकृतिक संतुलन (Biodiversity and Natural Balance):
    • बायोडाइवर्सिटी, जिसमें विभिन्न प्राकृतिक प्राणियों और पौधों की विविधता होती है, प्राकृतिक संरक्षण का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
    • खाद्य श्रृंखला और खाद्य जाल के माध्यम से हम बायोडाइवर्सिटी को संरक्षित रख सकते हैं, क्योंकि ये जीवों के बीच आपसी आवश्यकताओं को पूरा करते हैं और विविधता को बनाए रखने में मदद करते हैं।
    • उदाहरण: एक प्राकृतिक वन की खाद्य श्रृंखला और उसके भीतर के खाद्य जाल का अध्ययन करके हम जान सकते हैं कि कौन कौन से प्राणी और पौधे एक-दूसरे के साथ कैसे जुड़े हैं और इसके पर्यावरणीय प्रभाव क्या हो सकते हैं।

इस तरह, खाद्य श्रृंखला और खाद्य जाल प्राकृतिक संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, बायोडाइवर्सिटी की रक्षा करने में मदद करते हैं, और प्राकृतिक संतुलन को सुरक्षित करने में महत्वपूर्ण होते हैं।

 

समापन

  1. खाद्य श्रृंखला और खाद्य जाल के महत्व का पुनरावलोकन (Revisiting the Significance of Food Chains and Food Webs):

    • हमने देखा कि खाद्य श्रृंखला और खाद्य जाल का प्राकृतिक संरक्षण हमारे पर्यावरण के संतुलन को सुनिश्चित करने में कितने महत्वपूर्ण है।
    • इनके माध्यम से हम जीवों के बीच के खाद्य संबंधों का प्रतिनिधित्व कर सकते हैं, जिससे प्राकृतिक संतुलन बना रहे।
  2. जीव जगत के संतुलन के प्रति जागरूकता की महत्वपूर्णता (The Importance of Awareness of Ecological Balance in the World of Living Beings):

    • एक स्वस्थ और संतुलित जीव जगत का अध्ययन करके हम समझ सकते हैं कि हमारे प्लैनेट के विभिन्न प्राणी और पौधों के आपसी आवश्यकताओं को कैसे पूरा किया जा सकता है।
    • इससे हम प्राकृतिक संतुलन को सुनिश्चित करने के लिए सहायक होते हैं और पर्यावरणीय समस्याओं का समाधान ढूंढने में मदद करते हैं।

इस प्रकार, हमें खाद्य श्रृंखला, खाद्य जाल, और जीव जगत के संतुलन के महत्व के प्रति जागरूक रहना आवश्यक है ताकि हम समृद्धि और संरक्षण की दिशा में योगदान कर सकें।

स्रोतों का संदर्भ

यहां कुछ भारतीय लेखकों द्वारा लिखी गई प्रसिद्ध पर्यावरण संरक्षण और संबंधित विषयों पर पुस्तकें हैं, जिसमें स्कूल स्तर की पुस्तकें भी शामिल हैं:

  1. “हमारी हरित दुनिया: पर्यावरण अध्ययन”
    • लेखक: नीना वर्मा
    • विवरण: यह पुस्तक स्कूल स्तर के छात्रों के लिए डिज़ाइन की गई है और भारतीय पर्यावरण और संरक्षण प्रयासों पर ध्यान केंद्रित करती है।
  2. “पर्यावरण अध्ययन”
    • लेखक: इराच भरूचा
    • विवरण: इराच भरूचा की पुस्तक पूरे भारत में स्कूल और कॉलेजों में व्यापकता से प्रयुक्त होती है। इसमें भारत की पर्यावरण समस्याओं पर विचार किया गया है।
  3. “सभी के लिए संरक्षण जीवविज्ञान”
    • लेखक: नवजोत एस. सोधी और पॉल आर. अर्लिक
    • विवरण: इस पुस्तक में भारतीय लेखकों द्वारा लिखी नहीं है, लेकिन यह भारतीय संरक्षण प्रयासों के लिए महत्वपूर्ण है। इसमें विभिन्न संरक्षण जीवविज्ञान विषयों पर पूरी जानकारी है और छात्रों और प्रशंसकों के लिए उपयुक्त है।
  4. “पर्यावरण विज्ञान”
    • लेखक: अनुभा कौशिक और सी.पी. कौशिक
    • विवरण: यह पुस्तक स्नातक और स्नातक के छात्रों के लिए उपयुक्त है और पर्यावरण विज्ञान के विभिन्न पहलुओं को शामिल करती है, जिसमें संरक्षण भी शामिल है।
  5. “गायब हो रहा है: भारत का वन्यजीव संकट”
    • लेखक: प्रेरणा सिंह बिंद्रा
    • विवरण: प्रेरणा सिंह बिंद्रा की किताब भारतीय वन्यजीव और संरक्षण प्रयासों के सामने आने वाली चुनौतियों की ओर बढ़ती है। यह भारतीय वन्यजीव संरक्षण में रुचि रखने वालों के लिए सोच-विचार करने लायक है।
  6. “पारिस्थितिकी और पर्यावरण”
    • लेखक: पी.डी. शर्मा और डैश शर्मा
    • विवरण: यह पुस्तक पर्यावरण विज्ञान और पारिस्थितिकी के मुद्दों को समझाने के लिए है और उन छात्रों के लिए उपयुक्त है जो पर्यावरण विज्ञान में उच्च शिक्षा पर पढ़ रहे हैं।
  7. “पर्यावरण प्रबंध: पाठ और मामले”
    • लेखक: दारा सुधीर
    • विवरण: यह पुस्तक पर्यावरण प्रबंध के अभ्यासों को समझाने के लिए मामलों के साथ जानकारी प्रदान करती है, जिसमें संरक्षण भी शामिल है।

कृपया ध्यान दें कि उपलब्धता भिन्न हो सकती है, और यह अच्छा विचार है कि स्थानीय पुस्तकालयों या ऑनलाइन विपणियों की जाँच की जाए क्या इन पुस्तकों का वर्तमान में स्टॉक में है।

 

अनुसंधान स्रोत

प्राकृतिक जीवन, खाद्य श्रृंखला, और खाद्य जाल के बारे में और अधिक जानने के लिए आप निम्नलिखित ऑनलाइन स्रोतों का सहायता ले सकते हैं:

  1. भारतीय पर्यावरण मंत्रालय (Ministry of Environment, Forest and Climate Change, Government of India): इसकी आधिकारिक वेबसाइट पर, आप प्राकृतिक जीवन और खाद्य श्रृंखला के विषय में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। https://www.moef.gov.in/
  2. वनस्पति और वन्यजीव संरक्षण समुह (Plant and Animal Conservation Group): इस समुह के वेबसाइट पर, आप प्राकृतिक जीवन और खाद्य श्रृंखला से संबंधित अपडेट्स, रिसर्च पेपर्स, और जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। https://www.plantanimalconservation.org/
  3. वनस्पति और जन्तु जीव आधारित डेटाबेस (Flora and Fauna Based Databases): भारतीय वनस्पति और जन्तु जीव के डेटाबेस वेबसाइट्स का उपयोग करके आप खाद्य जाल, प्राकृतिक जीवन के विविधता, और संरक्षण के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
  4. विश्व प्राकृतिक वनस्पति संरक्षण संगठन (World Wide Fund for Nature – WWF): WWF की वेबसाइट पर, आप प्राकृतिक श्रृंखला, खाद्य श्रृंखला, और जैव विविधता संरक्षण से संबंधित जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। https://www.wwfindia.org/
  5. भारतीय जैव विविधता पोर्टल (Indian Biodiversity Portal): यह पोर्टल भारतीय जैव विविधता के संरक्षण और खाद्य जाल से संबंधित डेटा और जानकारी प्रदान करता है। https://indiabiodiversity.org/

इन स्रोतों का उपयोग करके, आप प्राकृतिक संरक्षण, खाद्य श्रृंखला, और खाद्य जाल के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

 

 अक्सर पूछे गए प्रश्न(FAQ)

  1. खाद्य जाल किसे कहते हैं| khadya jaal kise kahate hain?

खाद्य जाल एक प्राकृतिक प्रणाली का हिस्सा होता है जिसमें विभिन्न प्रजातियों के जीवों के बीच के खाद्य संबंध को दर्शाने वाला जटिल नेटवर्क होता है। यह नेटवर्क दिखाता है कि कैसे एक प्रजाति के जीव अन्य प्रजातियों को खाते हैं और इसके माध्यम से ऊर्जा और पोषण सामग्री का प्रवाह होता है।

इसे एक प्रणाली के अंदर के जीवों के बीच के भोजन संबंधों का एक संक्षिप्त और ग्राफिक रूप के रूप में प्रस्तुत करने के लिए उपयोग किया जाता है, जो आपसी व्यवस्था को समझने में मदद करता है। खाद्य जाल के माध्यम से हम यह समझ सकते हैं कि कौन-कौन से जीव किस प्रजाति के जीवों को खाते हैं और इसके परिणामस्वरूप प्राणियों के बीच खाद्य श्रृंखलाएं कैसे बनती हैं। यह पारिस्थितिकी में ऊर्जा और सामग्री के प्रवाह को समझने के लिए महत्वपूर्ण है और पारिस्थितिकी के संरचना और स्थिति को समझने में मदद करता है।

  1. khadya shrinkhala kise kahate hain

“खाद्य श्रृंखला” (Khadya Shrinkhala). इसका अर्थ होता है किसी पारिस्थितिकी में वो सिलसिला जिसमें प्रत्येक जीव अपने पूर्वजीव के रूप में अगले जीव के खाद्य के रूप में कार्य करता है। खाद्य श्रृंखला में ऊर्जा और पोषण सामग्री को एक जीव से दूसरे जीव में स्थानांतरित होते हुए दिखाया जाता है।

  1.  

    प्राकृतिक संरक्षण में खाद्य श्रृंखला और खाद्य जाल का महत्व क्या है?

खाद्य श्रृंखला और खाद्य जाल प्राकृतिक संरक्षण में महत्वपूर्ण हैं क्योंकि ये बताते हैं कि जीवों के बीच खाद्य संबंध कैसे जुड़ते हैं और इसे संतुलन में कैसे बनाए रखा जा सकता है।

  1. खाद्य श्रृंखला और खाद्य जाल में आने वाली बाधाएँ पारिस्थितिकियों और वन्यजीवों को कैसे प्रभावित करती हैं?

खाद्य श्रृंखला और खाद्य जाल में आने वाली बाधाएँ पारिस्थितिकियों को प्रभावित करके उनके संरक्षण को कमजोर कर सकती हैं। यह जीवों के जीवन में परिवर्तन पैदा कर सकती है और प्राकृतिक संतुलन को बिगाड़ सकती है.

  1. कीस्टोन प्रजातियों का क्या भूमिका है जो पारिस्थितिकियों में खाद्य श्रृंखला और खाद्य जाल के संतुलन को बनाए रखने में खेलते हैं?

कीस्टोन प्रजातियाँ प्राकृतिक संरक्षण में महत्वपूर्ण होती हैं क्योंकि वे एक खाद्य श्रृंखला या खाद्य जाल के संतुलन को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। उनकी गई बिना पर्यावरण में संतुलन में बिगाड़ हो सकता है।

  1. खाद्य जाल का प्राकृतिक संरक्षण क्यों महत्वपूर्ण है?

खाद्य जाल का प्राकृतिक संरक्षण महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे हम समझ सकते हैं कि जीव कैसे अपने खाद्य स्रोत को प्राप्त करता है और प्राकृतिक संतुलन को कैसे बनाए रखता है.

  1. प्राकृतिक संरक्षण में बायोडाइवर्सिटी का क्या महत्व है?

बायोडाइवर्सिटी प्राकृतिक संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह विभिन्न प्राकृतिक प्राणियों और पौधों की विविधता को बनाए रखने में मदद करती है और प्राकृतिक संतुलन को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण होती है।

 

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