आंख का आकार – (Size of an Eye )

श्वेत पटल और कनीनिका (Sclera):
नेत्रगोलक के सफेद भाग को श्वेतपटल कहा जाता है । यह नेत्रगोलक को कवर करने का महत्वपूर्ण काम करता है| यह आंख की दीवार के बाहर श्वेतपटल सख्त, सफेद, रेशेदार पदार्थ होता है। यह कॉर्निया से जुड़ा होता है। यह आंख के अंदर की नाजुक संरचनाओं की रक्षा करता है।आंख के सफ़ेद भाग पर छोटे गुलाबी धागे दिखते हैं। ये रक्त वाहिकाएं हैं, जो श्वेतपटल तक रक्त पहुंचाती हैं।कॉर्निया
एक पारदर्शी गुंबद, आंख के रंगीन हिस्से के सामने रहता है। कॉर्निया आंख को केंद्रित करने में मदद करता है क्योंकि प्रकाश अपने में से जाने देता है। यह आंख का एक बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा है, लेकिन आप इसे शायद ही देख सकते हैं क्योंकि यह स्पष्ट ऊतक से बना है। एक साफ़ कांच की तरह, कॉर्निया आपकी आंख को दुनिया को देखने में मदद करता है |आइरिस (Iris)
आइरिस आँख का रंगीन हिस्सा है , आइरिस से ही आँख के रंग का निर्धारण होता है | आईरिस में इससे जुड़ी मांसपेशियां होती हैं जो यह निर्धारित करती हैं की आँख में कितना प्रकाश प्रवेश करेगा |अगर प्रकाश अधिक होता है तो आइरिस की पुतली pupil ) का आकार सिकुड़ जाता है और अगर प्रकाश कम है तो आइरिस की पुतली का आकार फ़ैल जाता है |
द्रष्टि पटल ( Retina ) –
नेत्र गोलक के सबसे भीतरी भाग को दृष्टि पटल कहते हैं | सबसे भीतरी भाग पतला , कोमल व संवेदी होता है। बाहरी भाग दांतेदार होता है जिसे ओरा सिरेटा (Ora serrate.) कहते है। रेटिना प्रमुख दो स्तरों होते हैं – 1. संवेदी स्तर (Sensory level) 2. रंगा स्तर
(A) संवेदी स्तर :
संवेदी स्तर में तीन परत होती हैं – (i) श्लाका एवं शंकु परत (cone layer) इस परत में दो प्रकार की कोशिकाएँ होती है। अ. श्लाका : नेत्र में 115 मिलियन शलाका होती है , इनमे रोडोक्सिन वर्णक पाया जाता है। ये कोशिकाएँ आँख को प्रकाश व अंधकार में देखने के लिए सक्षम बनाती है। (ब ) शंकु (Cone ) : एक नेत्र में 6.5 मिलियन शंकु कोशिकाएं होती है , इसके अंदर आयोडोक्सिन नामक वर्णन पाया जाता है । यह रंग भेदने में मदद करती हैं । (ii) द्विध्रुवीय न्यूरोन स्तर (Bipolar neuron level): यहाँ द्विध्रुवीय तंत्रिका कोशिकाएँ सिनैप्स बनाती है। (iii) गुच्छ्कीय स्तर (Cluster level ) : यहाँ एक्सोन दृक तंत्रिकाओ के तन्तुओ में रूपांतरित हो जाते है। इस के आधार भाग को अंग बिंदु कहते है।लेंस (lens)
आइरिस के पीछे पारदर्शी उभरा हुआ उत्तल व लचीला लैंस होता है , इस पर संयोजी ऊत्तक का लचीला लेन्स फिट होता है। लेंस व कोर्निया के मध्य अक्ष द्रश्य अक्ष (visual axis) कहलाती है। द्रश्य अक्ष के सम्मुख स्थित दृष्टि पटल का मध्य भाग पीला दिखाई देता है इसे पीत बिंदु या मैकुला लुटिया(macula lutea. ) कहते है। लैंस सिलियरी काय के अन्दर लचीले निलम्बन रुनायु द्वारा गोलक की गुहा में होता है। लैंस व कोर्निया के बीच के भाग पारदर्शी द्रव भरा होता है इसको तेजो जल कहते है। यहाँ लेंस व रेटिना के बीच पारदर्शक लसेदार गाढ़ा द्रव भरा होता है जिसे काचाभ द्रव (sessile fluid.) कहते है।आँखों की सहायता से हम कैसे देख पाते है ? –
