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विद्युत द्विध्रुव की परिभाषा- यदि दो आवेश जिनके बीच की दूरी बहुत कम है और दोनों पर विपरीत आवेश है और बराबर परिमाण है तो इस व्यवस्था या सिस्टम को विद्युत द्विध्रुव कहेंगे विद्युत द्विध्रुव में एक धन आवेश और एक ऋण आवेश कम दूरी पर रखे होते हैं और दोनों आवेशों का परिमाण बराबर होता है
माना कि दो आवेश – q और +q रखे है इनके बीच की दूरी l है जो बहुत कम है तब इसे विद्युत द्विध्रुव कहेंगे और इनके बीच की दूरी को द्विध्रुव की लंबाई कहेंगे
उदाहरण-
परमाणु में उपस्थित इलेक्ट्रॉन और प्रोटॉन यानी धनआवेश और ऋणआवेश होते हैं जिन्हें विद्युत क्षेत्र मे रखा जाता है तो इनके बीच थोड़ी दूरी आ जाती है तो एक विद्युत द्विध्रुव का निर्माण हो जाता है
कुछ अणु जैसे H2O,HCL के धनावेश और ऋणावेश के केंद्र के बीच जगह होती है इसलिए ये अणु विद्युत द्विध्रुव का काम करते है
N₂,H₂,O₂ आदि ऐसे अणु होते है जिनमे धनात्मक एवं ऋण आवेश के केंद्र सम्पाती होते हैं
H₂O,HCL,NH₃ ऐसे अणु है जिनके धनावेशो के द्रव्यमान केंद्र और ऋण अवेशो के केंद्र सम्पाती नहीं होते हैं
विद्युत द्विध्रुव पर आवेश
दोनों आवेश विपरीत चिन्ह के बराबर आवेश होते है द्विध्रुव पर इसलिए कुल आवेश शून्य होगा पर इसके बीच की दूरी के कारण विद्युत क्षेत्र शून्य नही होगा
विद्युत द्विध्रुव के कारण उत्पन्न विद्युत क्षेत्र
विद्युत द्विध्रुव के कारण उत्पन्न विद्युत क्षेत्र को द्विध्रुव क्षेत्र कहते हैं विद्युत द्विध्रुव की विद्युत बल रेखाए ऊपर इमेज के जैसी होती है यही विद्युत द्विध्रुव का विद्युत क्षेत्र होता होगा विद्युत बल रेखाएं काल्पनिक होती है पर इनका व्यवहार वास्तविक होता है
विद्युत द्विध्रुव आघूर्ण –
वैधुत द्विध्रुव के किसी आवेश और द्विध्रुव के लम्बाई के गुणनफल को उसका वैधुत द्विध्रुव आघूर्ण कहते है
इसे P से दर्शाते है , यह एक सदिश राशि होती है
यदि +q और -q अवेशो से निर्मित वैधुत द्विध्रुव के अवेशो के बीच की दूरी 2a हो तो वैधुत द्विध्रुव आघूर्ण का परिणाम
P = q × 2a
P = 2qa
इसकी दिशा ऋण आवेश से धन आवेश की ओर द्विध्रुव अक्ष के अनुदिश होती है
वैधुत द्विध्रुव आघूर्ण का मात्रक कुलाम. मीटर होता है
विमा = [M⁰L¹T¹A¹] होता है
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