क्रेस्कोग्राफ क्या होता है (what is crescograph ?)

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क्रेस्कोग्राफ एक ऐसी मशीन है जिसकी मदद से पेड़ पौधों की वृद्धि को मापा जा सकता है | इसकी खोज 1928 में देश के महान वैज्ञानिक जगदीश चंद्र बोस ने की थी | इस मशीन की मदद से जगदीश चांद बॉस ने साबित किया की पेड़ पौधों में भी जान होती है , वो निर्जीव नही बल्कि सजीव होते है | उन्हे भी दर्द होता है उन में भी अनुभूति होती है | यह एक बहुत ही महान खोज थी | जिसमे पूरी मानव जाति की सोच को बदल कर रख दिया |

क्रेस्कोग्राफ कैसे काम करता है (How Crescograph works )


बोस के द्वारा बनाया हुआ क्रेस्कोग्राफ एक पौधे की नोक (या इसकी जड़ों) की गति को रिकॉर्ड करने के लिए घड़ी की कल (clockwork ) के गियर और एक स्मोक्ड ग्लास प्लेट (smoked glass plate ) की एक श्रृंखला का उपयोग करता है। यह दो अलग-अलग लीवरों के उपयोग के माध्यम से 10,000 गुना तक के आवर्धन ( magnifications )पर रिकॉर्ड करने में सक्षम होता है । एक लीवर 100 गुना आवर्धन (magnifications ) पर रिकॉर्ड करता है जबकि दूसरा लीवर उस छवि (image ) को लेता है और 100 गुना आवर्धन (magnifications ) पर रिकॉर्ड करता है। प्लेट पर कुछ सेकंड के अंतराल पर निशान बनते जाते हैं, जो बताते हैं कि विभिन्न उत्तेजनाओं(stimul ) के तहत विकास की दर कैसे बदलती है। बोस ने इस मशीन के साथ तापमान, रसायन विज्ञान, गैस और बिजली के साथ प्रयोग किए।
इलेक्ट्रॉनिक क्रेस्कोग्राफ प्लांट मूवमेंट डिटेक्टर एक इंच के 1/1,000,000 जितना छोटा माप मापने में सक्षम है। हालाँकि, इसकी विशिष्ट ऑपरेटिंग रेंज 1/1000 से 1/10000 इंच तक है। घटक जो वास्तव में गति (movement)को मापता है वह एक अंतर ट्रांसफार्मर (ifferential transforme ) है जिसमें दो बिंदुओं के बीच चलने योग्य कोर होता है। सिस्टम को समायोजित और कैलिब्रेट करने के लिए एक माइक्रोमीटर का उपयोग किया जाता है। यह पौधे की वृद्धि को रिकॉर्ड कर सकता है, और छोटे से छोटी गति को 10,000,000 गुना तक बढ़ा सकता है।

जगदीश चंद्र बोस का क्रेस्कोग्राफ के साथ किया गया प्रयोग (Jagdish Chandra Bose’s experiment with the crescograph)


वर्ष 1901 में, 10 मई को, भारतीय वैज्ञानिक सर जगदीश चंद्र बोस ने साबित कर दिया था कि पौधों में भी जीवन है।

  1. बोस ने क्रेस्कोग्राफ का आविष्कार किया। बोस ने आविष्कार क्रेस्कोग्राफ के माध्यम से इसका प्रदर्शन किया, जिसमें पेड़ों और पौधों की बाहरी परिवर्तनों की प्रतिक्रिया दर्ज की गई थी।
  2. पौधों में जीवन को सिद्ध करने का यह प्रयोग लंदन की रॉयल सोसाइटी में हुआ और दुनिया ने बोस के लोहे को स्वीकार किया।
  3. एक पौधे की जड़ को ब्रोमाइड में डुबोया गया। पौधे की नब्ज स्क्रीन पर एक संकेत के रूप में दिखाई दे रही थी। जिसे यंत्र के माध्यम से देखा गया। कुछ समय बाद यह अनियमित होने लगा।
  4. थोड़े समय के बाद, पौधे के जीवन को दर्शाने वाला संकेत कांपने लगा और अचानक रुक गया, जो इस बात का संकेत था कि पौधे की मृत्यु हो गई है।
    इस प्रयोग से यह सिद्ध हो गया की पेड़ पौधों में भी मनुष्य की तरह जान होती है और वो निर्जीव नही होते |

कौन थे जगदीश चंद्र बॉस (Who was Jagdish Chandra Boss )


जगदीश चंद्र बोस भारत के एक महान वैज्ञानिक थे। उनका जन्म 30 नवंबर 1858 ई. यह मेमनसिंह नामक स्थान पर हुआ जो अब बांग्लादेश में है | यहीं पर उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की। सेंट जेवियर्स कॉलेज, कलकत्ता से उच्च शिक्षा प्राप्त की। 1885 ई. वे प्रेसीडेंसी कॉलेज, कलकत्ता में भौतिवीकी के सहायक प्रोफेसर के रूप में नियुक्त हुए।उन्होंने विद्युत किरणों (Light rays ) के गुणों का अध्ययन करने के लिए एक उपकरण बनाया। उन्हे 1917 ई. में सरदार ‘नाइट’ तथा 1920 में लंदन की रॉयल सोसाइटी का फेलो भी बनाया गया था। यह सम्मान पाने वाले वे पहले भारतीय भौतिक विज्ञानी (physicist)थे। बोस अपने यंत्र क्रेस्कोग्राफ के आविष्कारक के रूप में दुनिया भर में प्रसिद्ध हैं। यह यंत्र पौधे की वृद्धि और गति के एक मिलीमीटर के दस लाखवें हिस्से को भी रिकॉर्ड कर सकता है। चिकित्सक । बोस ने कई यंत्र भी बनाए जो दुनिया में बोस यंत्र के नाम से प्रसिद्ध हैं| उन्होंने अपने क्रेस्कोग्राफ द्वारा लिए गए चित्रों से साबित कर दिया कि पौधों में भी संचार प्रणाली होती है। क्रेस्कोग्राफ ने यह भी सिद्ध किया कि पौधों की वृद्धि उनमें स्थित जीवित कोशिकाओं के कारण होती है| क्रेस्कोग्राफ और बोस उपकरणों के अलावा, उनके वायरलेस आविष्कारों ने मार्कोनी के आविष्कारों को पीछे छोड़ दिया। उन्होंने सबसे पहले एक वायरलेस कोहरर (रेडियो सिग्नल डिटेक्टर) और एक अन्य उपकरण बनाया जो विद्युत तरंगों में परिवर्तन (change in electric waves ) का पता लगाता है। जब उस पूछा गया की यह अविष्कार किसके लिए बनाया गया है , तो उन्होंने सरलता से उत्तर दिया कि यह एक आविष्कार है जो आविष्कारक की तुलना में मानवता के लिए अधिक उपयोगी है।

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