ग्लोबल वार्मिंग क्या है (What is Global Warming ?)

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कभी बढ़ती गर्मी , कभी बर्फीले तूफान , कभी बेमौसम बारिश कुदरत के कहर ने जैसे धरती को हिला कर रख दिया है | आजकल धरती के वातावरण में आने वाले परिवर्तनों ने पूरी मानव सभ्यता को परेशान कर रखा है | ग्लेशियर पिघल रहे है , जिसकी वजह से समुद्री का जल स्तर बढ़ रहा है , जिसकी वजह से आन वाले समय में दुनिया में जल प्रलय आने का खतरा बन रहा है | वैज्ञानिकों का अनुमान है की अगर समुद्र का जल स्तर इसी तरह से बढ़ता रहा तो आने वाले कुछ सालो में दुनिया के नक्शे से कई बड़े शहरों का नामोनिशान मिट जाएगा | इन बड़े शहरो में भारत के मुंबई , कोलकाता , विशाखा पटनम जैसे शहर भी शामिल है | अब सवाल यह उठता है की आखिर पर्यावरण में हो रहे इस बदलाव की वजह क्या है ? दरअसल पर्यावरण में अचानक से बदलाव नहीं हो रहा | हमारी धरती हमे इसके संकेत काफी वक्त पहले से हो दे रही थी | लेकिन हमने कभी भी उन चेतावनियों पर ध्यान नही दिया | जिसका परिणाम यह हुआ की आज हमे इसके भयानक परिणाम देखने को मिल रहे हैं | पृथ्वी के वातावरण में होने वाले यह परिणाम दरअसल ग्लोबल वार्मिंग ( Global warming) के फलस्वरूप है |


ग्लोबल वार्मिंग (Global warming ) –

ग्रीन हाउस गैस जैसे मीथेन , कार्बन डाई ऑक्साइड के कारण पृथ्वी की सतह के औसत तापमान में वृद्धि को ग्लोबल वार्मिंग कहा जाता है।
जब जीवाश्म ईंधन ( Fossil fuel ) के जलने से कार्बनडाइऑक्साइड गैस निकलती है , इसके अलावा जब पे ड़ों को काटा जाता है, तो ग्रीनहाउस प्रभाव उत्पन्न होता है , जिसकी वजह से पृथ्वी की गर्मी को बाहर नही निकल पाती और वो वही के वही फैंस कर रह जाती है , जिससे पृथ्वी का तापमान बढ़ जाता है। ग्लोबल वार्मिंग(Global warming ) की समस्या मुख्य रूप से वातावरण में बहुत अधिक कार्बन डाइऑक्साइड के कारण होती है, जिसकी वजह से पृथ्वी की सतह पर गर्मी का एहसास बढ़ जाता है |जब हम तेल, कोयला, प्राकृतिक गैस जैसे जीवाश्म ईंधन (fossil fuel ) जलाते हैं, कृषि करने के लिए जंगलों को जलाते हैं, जिसकी वजह से बहुत अधिक कार्बन डाइऑक्साइड उत्पन्न होती है …..यह गैस पृथ्वी के चारो तरफ एक चादर की तरह फेल जाती है , जिसकी वजह से सूर्य से आन वाली करने पृथ्वी तक पहुंच तो जाती है , लेकिन यहपृथ्वी से बाहर नहीं निकल पाती | जिसकी वजह से इन्हे धरती के द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है |और धरती का तापमान बढ़ जाता है | इसे ही ग्लोबल वार्मिग कहा जाता है |

ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming ) के कारण –


कई साल पहलेकी तुलना में पृथ्वी की जलवायु काफी बदल गई है। पिछले 650,000 वर्षों में सात हिमनद मोड़ आए हैं, लगभग 11700 साल पहले आधुनिक जलवायु युग की शुरुआत – और मानव सभ्यता की शुरुआत हुई । इस युग में जलवायु परिवर्तन का एक बहुत ही सामान्य कारण है – सूर्य की गर्मी की वजह से पृथ्वी के तापमान का लगातार बढ़ना |
यहां कुछ ऐसे कारण हैं जो साबित करते हैं कि पिछले कुछ सालों में ग्लोबल वार्मिंग की समस्या वास्तव में बढ़ी है।

ग्लोबल वार्मिंग के कारण


उन सभी कारणों को ग्लोबल वार्मिंग के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है, जो किसी न किसी तरह से पृथ्वी के तापमान को बढ़ाता है। ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ावा देने वाले कुछ कारण नीचे दिए गए है –
ग्लोबल वार्मिंग एक वर्तमान और भविष्य की समस्या है। ईपीए के अनुसार, 1990 से 2005 तक, मानवीय गतिविधियों की वजह से दुनिया भर में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन ( Green House gas emission ) में 26 प्रतिशत की वृद्धि रिपोर्ट की गई | वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड सांद्रता (concentration ) में वृद्धि इस वृद्धि का लगभग 80 प्रतिशत है।

ग्रीन हाउस गैस (Green House Gas ) –
ग्लोबल वार्मिंग का मुख्य कारण ग्रीन हाउस गैसों में वृद्धि है। ग्रीन हाउस गैसें प्रमुख चार गैसें हैं। पृथ्वी की ग्रीनहाउस गैसों की वजह से पृथ्वी के तापमान में वृद्धि होती है | जिसकी वजह से पृथ्वी की सतह गर्म हो जाती है | ग्रीनहाउस प्रभाव के लिए जिम्मेदार मुख्य गैसों में कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन, नाइट्रस ऑक्साइड, और जल वाष्प और फ्लोरिनेटेड गैसें (जो सिंथेटिक हैं) शामिल हैं। ग्रीनहाउस गैसें वातावरण में एक आवरण फैलाती हैं जिससे सूर्य की गर्मी पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करती है लेकिन वापस बाहर नहीं जा पाती है। इससे पृथ्वी का तापमान बढ़ जाता है।

बिजली संयंत्र ( power plant )
वर्तमान में, कई विकासशील देश बिजली उत्पादन के लिए जीवाश्म ईंधन (Fossil Fuel )जलाते हैं, यहां तक ​​कि अमेरिका में भी, बिजली उत्पादन में CO उत्सर्जन का चालीस प्रतिशत हिस्सा होता है। बिजली उद्योग का 93 प्रतिशत उत्सर्जन कोयले के जलने से होता है। जिसकी वजह से वातावरण में कार्बन डाई ऑक्साइड की मात्रा बढ़ जाती है | यह ग्लोबल वार्मिंग का एक प्रमुख कारण है |

परिवहन (Transport )
अकेले अमेरिका में होने वाले परिवहन से ग्रीनहाउस गैस ( GHG) 28 प्रतिशत उत्पन्न होता है , दुनिया भर में गाड़ियों से निकलने वाले धुएं से बहुत अधिक मात्रा में प्रदूषण उत्पन्न होता है |

कृषि (Farming )
औद्योगिक खेती और पशुपालन वातावरण में भारी मात्रा में मीथेन और कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन (Emission ) होता है । दुनिया भर में उत्सर्जित होने वाले कार्बन डाइऑक्साइड और मीथेन में कृषि का योगदान 20% है।

वनों की कटाई (Deforestation )
वनों की कटाई के कारण, ऑक्सीजन की भारी कमी आ रही है। सभी जीवों को सांस लेने के लिए ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है। जनसंख्या वृद्धि, पशुओं की संख्या में वृद्धि, श्वसन के बाद कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा में वृद्धि करती है। चूंकि कार्बन डाइऑक्साइड के सबसे बड़े रिसेप्टर पेड़ों की संख्या घट रही है, इसलिए यह वातावरण में लगातार बढ़ रही है। कार्बन डाइऑक्साइड ग्रीन हाउस का मुख्य स्रोत है। और इस वजह से ग्लोबल वार्मिंग की समस्या लगातार भौंका रूप लेती जा रही है |

उर्वरक और कीटनाशक (Fertilizers and Pesticides )
नाइट्रोजन युक्त उर्वरकों के प्रयोग से फसल काफी अच्छी होती है | नाइट्रोजन ऑक्साइड कार्बन डाइऑक्साइड की तुलना में 300 गुना अधिक गर्मी उत्पन्न कर सकते हैं। 62 प्रतिशत नाइट्रस ऑक्साइड कृषि उत्पादों में काम आती है | इसकी वजह मिट्टी की उर्वरकता काम होती है |

तेल कुएं में ड्रिलिंग (oil drilling )
तेल ड्रिलिंग उद्योग से जलने से वातावरण में जारी कार्बन डाइऑक्साइड पर प्रभाव पड़ता है। जीवाश्म ईंधन के लिए तेल कुओं में होने वाली ड्रिलिंग प्रसंस्करण और वितरण में लगभग 8 प्रतिशत कार्बन डाइऑक्साइड और 30 प्रतिशत मीथेन गैस उत्पन्न होती है | और इस तरह काफी अधिक मात्रा में प्रदूषण भी उत्पन्न होता है |

प्राकृतिक गैस ड्रिलिंग (natural gas drilling)
प्राकृतिक गैस (natural gas drilling ) को एक शुद्ध ईंधन स्रोत के रूप में जाना जाता है, लेकिन कुल प्राकृतिक गैस का अनुमानित नौ प्रतिशत वातावरण में चला जाता है, प्राकृतिक गैस ड्रिलिंग व्यापक वायु प्रदूषण का कारण बनती है, जिसका उपयोग शेल जमा से प्राकृतिक गैस निकालने के लिए किया जाता है। हाइड्रोलिक फ्रैक्चरिंग तकनीक भूजल स्रोतों (ground water sources )को भी प्रदूषित करती है।

कचरा ( Garbage )
जैसे ही जमीन में कचरा सड़ने लगता है, उसमें से मीथेन और नाइट्रस ऑक्साइड गैसें निकलने लगती हैं। वातावरण में लगभग अठारह प्रतिशत मीथेन गैस कचरे और कचरे से आती है।

ज्वालामुखी का विस्फोट (volcanic eruption )
ज्वालामुखी फटने पर बड़ी मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड निकलती है।वैसे देखा जाए तो ज्वालामुखी ग्लोबल वार्मिंग का एक बहुत ही मामूली कारण हैं। एक ज्वालमुखी विस्फोट एक अल्पकालिक वैश्विक शीतलन (global cooling ) का कारण बनता है। हवा में राख और सौर ऊर्जा की मात्रा अधिक होने के कारण ज्वालामुखी भी ग्लोबल वार्मिंग के लिए जिम्मेदार हैं|


ग्लोबल वार्मिंग से बचने के उपाय ( Ways to protection from Global warming ) –


सभी लोगों को पेट्रोल, डीजल और बिजली का उपयोग कम करना होगा ताकि हानिकारक गैसों की मात्रा को कम किया जा सके।

2 ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने होंगे और पेड़ों को कटने से बचाना होगा।

3 जागरूकता अभियान दुनिया भर में सरकारी एजेंसियों, गैर सरकारी संगठनों आदि द्वारा चलाए जाने चाहिए।

4 वाहनों एवं उद्योगों से निकलने वाली हानिकारक गैसों के समुचित निस्तारण की व्यवस्था की जाये।

5 ऐसी सभी चीजों पर रोक लगनी चाहिए, जिससे ओजोन परत कमजोर होती जा रही है।

ऐसी बत्तियों का प्रयोग घर, कार्यालय आदि स्थानों पर करना चाहिए, जिनमें ऊर्जा की खपत कम हो।

जल प्रदूषण और वायु प्रदूषण को कम करने के लिए 7 उपाय अपनाए जाने चाहिए।

8 जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित किया जाना चाहिए।

9 ऐसी वस्तुएँ जिनका पुनर्चक्रण या पुन: उपयोग नहीं किया जा सकता, उनका उपयोग नहीं किया जाना चाहिए।

रेफ्रिजरेटर, एयर कंडीशनर आदि जैसी मशीनों के उपयोग को कम करने से हानिकारक गैसों की मात्रा कम हो जाएगी।

11 कारखानों में कोयले और तेल के जलने का स्तर कम किया जाना चाहिए।

12 तकनीकी विकासों ( technical developement ) की मदद से ग्लोबल वार्मिंग से निपटा जा सकता है, ऐसे रेफ्रिजरेटर का आविष्कार किया जाना चाहिए जिनमें सीएफ़सी का बिल्कुल भी उपयोग नहीं किया जाता हो |
दोस्तो ग्लोबल वार्मिग की समस्या हम सबकी समस्या है , और इससे निपटने में हम सभी को अपना अपना रोल प्ले करना होगा | हम सभी को अपनी धरती को साफ और स्वच्छ बनाना होगा , ताकी हम अपनी आन वाली पीढियों को एक सुनहर भविष्य दे सके |

FAQ

Q : global warming is attributed to | ग्लोबल वार्मिंग के क्या कारक है

ग्लोबल वार्मिंग के मुख्य कारक ऐसे पदार्थ हैं जो कि वातावरण में मिल जाने के कारण धरती पर वातावरण का तापमान बढ़ाने में योगदान देते हैं जैसे कार्बन डाइऑक्साइड सीएफसी गैस आदि

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