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कॉलम (Column)
कॉलम को हम दूसरी भाषा में Pillars (पिलर्स) भी कह सकतेहैं। कॉलम/पिलर्स सिर्फ static or dynamic load (sometimes) को उठाते है या सहन करते हैं। इनके दोनों सिरो पर सपोर्ट रहते हैं। अथार्त vertical अक्ष (Axis) पे जिनके दोनों सिरे फिक्स है और जो Load को सहन कर सकते है, वे सभी कॉलम कहे जाते हैं। हम चित्र से Clearly समझेंगे।
Types of columns: –
- Short column
- Medium column
- Long column
तीनों प्रकार लम्बाई के आधार पर बाटें गये हैं इसके लिए हमें slenderness ratio के बारें में जानना आवशयक हो जाता हैं।
Slenderness Ratio: – कॉलम की पूर्ण ल. L तथा कॉलम के गुरुत्व केंद्र (center of gravity) पर जो सबसे काम Radius of gyration हैं उसका (K) अनुपात तनुता अनुपात कहा जाता हैं।
अथार्थ, S = l/k = (length of column)/(minimum radius of gyration)
अब हम जानते हैं कोलम के प्रकार के बारे मे –
Short column: –
अगर किसी कॉलम का slenderness ratio [तनुता अनुपात] ३२ से कम आता है तब वह Short column कहा जाता हैं। Short column का एक महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि कॉलम की लमबाइ (L) और डायामीटर (D) का (L/D ≤ 8) ratio भी 8 से कम होता हैं। ऐसे Column Load सहन करने में अच्छे माने जाते हैं।
Medium Column: –
यदि कोई भी कॉलम का मान या slenderness ratio 32 से 120 के बीच मैं आता हैं तो उसे medium column कहते है । इस प्रकार के कॉलम कि लमबाइ (L) और डायामीटर (D) का ratio 8 से ज्यादा और 30 से काम होना चाहिए।
Long column: –
इस प्रकार के columns का slenderness ratio 120 से ज्यादा होता हैं। इस प्रकार के columns लम्बाई (L) के अनुरूप अधिक Load Accept नहीं कर पाते है और यही कारण हैं कि इनकी लम्बाइ की वजह से ये असफल हो जाते हैं लम्बाई और डायामीटर का ratio 30 से ज्यादा होता हैं
( Note: – Load capability short column की Long की अपेक्षा ज्यादा होती हैं। )
Euler’s Theory of column:
लंबे columns की स्थिरता कि study करने का पहला प्रयास मिस्टर यूलर द्वारा किया गया था। वह झुकने वाले तनाव के आधार पर लंबे column के buckling load के लिए एक equation प्राप्त किया। इस equation की derivation करते समय direct stress के effect को neglect किया । इसे इस statement से justify किया जा सकता है कि direct stress का मूल्य bending stress के मुल्य से काफी कम होता है जिसके करण direct stress को neglect किया जा सकता है।
यूलर का formula short columns के लिये उपलब्ध नही है क्युकि इन प्रकार के कॉलम मे direct stress का मुल्य बहुत ज़्यादा होता है ।
युलर थ्योरी का assumption:
- शुरु मे कोलम सीधा है ओर लोड axially लगता है ।
- कोलम का क्रॉस-सेक्शन इसकी पूरी लम्बाई में एक समान है।
- कोलम हुक्स लो का पालन करती है ।
- कोलम कि लम्बाई उसके क्रॉस-सेक्शन एरीया से ज़्यादा होति है ।
- Direct stress के कारण जो लम्बाइ कम होती है उसे neglect किया जाता है ।
- कॉलम की विफलता अकेले बकलिंग के कारण होती है।
स्ट्र्ट्स (Struts):
किसी कॉलम के सहारे एक ऐसे स्ट्रक्चर (Structure) को सहारा दिया जाए जो भिन्न-भिन्न जोड़ों से बना हुआ है और इसे हम truss भी बोल सकते हैं। Truss की Position [Inclined, Vertical और Horizontal] तीनों हो सकती है truss Compressive load पर काम करते हैं। Truss पर लगने वाला Load हमेशा इसके Joint पर ही Act करता हैं ।
(Note: – ट्रस की Position Vertical होने पर इन्हें हम Column भी कह सकते हैं परंतु किसी भी Column को Truss नहीं कहा जा सकता है।)
Column और Struts के बीच का Difference:
Column | Struts |
कॉलम की Position हमेसा Vertical और Top to Bottom एक सामान होती हैं | Strut की Position Vertical, Horizontal Inclined हो सकती हैं |
कॉलम अक्षीये Load(Axial Load) सहन करते हैं | Strut Compressive Load Bear करते हैं |