चाइना में मिला 700 करोड़ साल पुराना डायनासोर

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short info :- दक्षिणी चीन में वैज्ञानिकों को बड़ी सफलता हाथ लगी है।आपको बता दें यहां पर 700 करोड़ साल पुराना डायनासोर का अंडे का जीवाश्म मिला है। ये जीवाश्म पूरी तरीके से mature था।

और इसमें जो खास बात निकल कर यह सामने आ रही है कि ये डायनासोर की अनोखी प्रजाति है। इस डायनासोर के इसमें दांत की जगह इस डायनासोर वे चौच थी। जानते हैं क्या है इसके पीछे की खास वजह विस्तारपूर्वक आपको बताने वाले हैं,इस आर्टिकल के माध्यम से तो चलिए शुरू करते हैं।

इस डायनासोर की खोज को लेकर वैज्ञानिक इसे खास उपाधि के तौर पर बता रहे हैं।और इसके पीछे का असल मकसद है।क्या क्योंकि है यह जो प्रजाति है वह काफी पुरानी थी।

और साथ ही काफी दुर्लभ मानी जाती है। इससे पहले यकीन किया जाता था कि इस तरीके के डायनासोर है कि नहीं लेकिन आप जब ये जीवाश्म मिला है तो ये तय हो गया है कि इस तरीके के डायनासोर धरती पर मौजूद थे।

इस डायनोसोर के दांत नहीं है। बल्कि इसके चौच है।

ओविराप्टोरोसॉर प्रजाति का संबंधित है। कहा जा रहे हैं यह अंडा
66-72 मिलियन यानी कि 7 करोड़ 20 लाख साल पुराना है।इस अंडा को बेबी या यंग यांग नाम दिया गया है।

यूनिवर्सिटी ऑफ बर्मिंघम के जीवाश्म विज्ञानियों ने बताया कि यह भ्रूण ओविराप्टोरोसॉर प्रजाति से संबंधित है। इसके दांत नहीं थे लेकिन चोंच थी। ओविराप्टोरोसॉर पंखों वाले डायनासोर थे जो एशिया और उत्तरी अमेरिका की चट्टानों में पाए जाते हैं। इसकी चोंच और शरीर का आकार अलग-अलग होता था जिससे वे आहार की एक विस्तृत शृंखला को अपना सकते थे।

जियांग्शी प्रांत के गांझोउ शहर के शाहे औद्योगिक पार्क में हेकाउ फॉर्मेशन की चट्टानों में मिला है। ये अब तक ज्ञात सबसे पूर्ण डायनासोर भ्रूणों में से एक है। माना जा रहा है कि ये 10.6 इंच लंबा रहा होगा।

यह शोध यूनिवर्सिटी ऑफ बर्मिंघम के जीवाश्म विज्ञानी फियोन वैसम माई और उनके सहकर्मियों ने की है। उन्होंने कहा कि डायनासोर के भ्रूण कुछ सबसे दुर्लभ जीवाश्मों में से एक हैं और इनमें से ज्यादातर बिना हड्डियों के होते हैं।हम बेबी यिंगलियांग की खोज को लेकर बेहद उत्साहित हैं।यह भ्रूण अब तक का सबसे पूर्ण ज्ञात डायनासोर का भ्रूण है।

सफल हैचिंग के बेहद करीब था डायनासोर

टेली मेल के रिपोर्ट के मुताबिक बेबी इंग्लैयाग अंडे श्रेणी के करीब था उसका सिर उसके अंडे के नीचे था उसकी पीठ अंडे के आकार के अनुसार मुड़ी हुई थी। उसके पैर सर के दोनों ओर स्थित थे। अद्वैत पक्षियों में इस तरह की मुद्रा टंकीग के दौरान देखी जाती है।टंकीग केंद्रीय तंत्रिका तंत्र से नियंत्रित एक प्रक्रिया होती है।

जीवाश्म का इस तरह संरक्षित होना बड़ी बात
कनाडा में कैलगरी विश्वविद्यालय में भूविज्ञान विभाग के प्रोफेसर डार्ला जेलेनित्स्की ने कहा कि अंडे के अंदर जो बेबी डायनासोर मिला है, उसकी हड्डियां छोटी और नाजुक हैं और इस तरह के जीवाश्म का मिलना असंभव मालूम होता है और शायद हम भाग्यशाली हैं कि हमें बेबी डायनासोर का जीवाश्म मिला है। जीवाश्म का इस तरह संरक्षित होना बड़ी बात है।

तो इसकी लंबाई दो से तीन मीटर होती है।

वैज्ञानिकों का कहना है कि जब उन्हें अंडा मिला तो उन्हें बिल्कुल नहीं लग रहा था कि इसके अंदर बेबी डायनासोर पूरी तरह से संरक्षित अवस्था में हो सकता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि ये डायनासोर अगर अपने अंडे से निकलता तो शायद इसकी लंबाई 2 से 3 मीटर के बीच हो सकती थी और ये डायनासोर पौधों को खाकर पलने वाला था।

तो यह था इस डायनासॉर की कहानी आपको कैसा लगा यह जानकारी अपना फीडबैक कमेंट के माध्यम से जरूरत दें।

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