पेट्रोल और डीजल कैसे बनता है? (How is petrol and diesel made?)

0

 पेट्रोल-डीजल आज के समय में इंसान के लिए कितना ज़रूरी है , यह सभी जानते है | इनकी रोज जरूरत होती है और यह भी सच है कि जैसे-जैसे इनका इस्तेमाल बढ़ रहा है इनकी कीमत भी लगातार बढ़ती जा रही है और भारत में इनकी कीमत आसमान छूने लगी है . भारत में पेट्रोल की कीमत 100 रुपये के करीब पहुंच गई है और आने वाले समय में इनकी कीमत और भी ज्यादा हो सकती है |

भारत में पेट्रोल के स्त्रोत नहीं है – –

भारत में पेट्रोल का उत्पादन नहीं होता है , और इस वजह से इसे दूसरे देशों से आयात किया जाता है   इसके बाद एक लम्बी प्रोसेस के बाद  यह पेट्रोल पम्प तक पहुच पाता है  और इसलिए आम जनता तक पहुंचने पर इस पर कई तरह के टैक्स लगाए जाते हैं। जिससे हमें यह पेट्रोल इतना महंगा मिल जाता है। हमारे देश में पेट्रोल की कीमत बहुत ज्यादा है, लेकिन दुनिया के कई देशों में पेट्रोल पानी से सस्ता है. जैसे की अरब और खाड़ी देश और इसी वजह से यह देश दुनिया के सबसे धनि देश बन गए है |

 पेट्रोल और डीज़ल ऊर्जा में गैर-नवीकरणीय संसाधन (Non Renewable Source ) है , जिन्हें बनने  लाखो करोडो साल का वक्त लगता है  |

गैर-नवीकरणीय संसाधन (Non Renewable Source )-

एक गैर-नवीकरणीय संसाधन एक प्राकृतिक पदार्थ है जिन्हें धरती में से निकाला जाता है  यह एक सीमित संसाधन है।तेल, प्राकृतिक गैस और कोयला जैसे जीवाश्म ईंधन गैर-नवीकरणीय संसाधनों के उदाहरण हैं। मनुष्य लगातार इन पदार्थों के भंडार का दोहन करता  है जिसकी वजह से प्रक्रति में इनकी मात्रा कम हो रही है | जिस रफ्तार से हम पेट्रोल-डीजल जैसी चीजों का इस्तेमाल कर रहे हैं, अगर हम इसी तरह इनका सेवन करते रहे है ….उससे तो यही उम्मीद है की आने वाले 40 सालों में ये खत्म हो जाएंगे, जमीन के नीचे पेट्रोल-डीजल का कुछ नहीं बचेगा, क्योंकि यह सब . चीजें पृथ्वी पर सीमित हैं। पेट्रोल-डीजल खत्म होने के साथ ही इनकी कीमतों में बढ़ोतरी जारी रहेगी। आज के समय में हम सभी पेट्रोल और डीजल पर निर्भर हैं। हमारी रोजमर्रा की सभी चीजें जैसे सब्जियां, फल और तेल आदि को बड़े ट्रकों में भरकर एक शहर से दूसरे शहर में लाया और ले जाया जाता है और जिसके लिए ईंधन की जरूरत होती है यानी पेट्रोल और डीजल की, जो पृथ्वी पर बिल्कुल सीमित है और कोई भी वाहन नहीं कर सकता है। बिना ईंधन के चलाओ। जब ईंधन की कीमत बढ़ती है, तो इसके साथ-साथ सभी चीजों की कीमत बढ़ जाती है, मुद्रास्फीति भी बढ़ जाती है। लेकिन कुछ नहीं किया जा सकता क्योंकि अभी हम पूरी तरह से इन्हीं संसाधनों पर निर्भर हैं।

 पेट्रोल-डीजल कैसे बनता है(How petrol and diesel made ?)

जमीन के नीचे से पेट्रोलियम निकाला जाता है   लेकिन यह तेल जमीन के अंदर कैसे बना?

 तो आपको बता दें कि हजारों-लाखों साल पहले धरती पर आए विनाश के कारण पेड़, पौधे और जानवर जमीन के नीचे दब गए थे और बहुत अधिक दबाव और गर्मी के कारण ये मृत पौधे और जानवर पेट्रोलियम में बदल गए थे। इसके बाद आदमी ने जमीन और समुद्र में पेट्रोलियम के भण्डारो  की खोज की और इस काले तरल को समुद्र की चट्टानों से निकालना शुरू कर दिया।  लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है कि इन्हें सीधे मिट्टी खोदकर निकाला जाता है। यह प्रक्रिया काफी कठिन होती है   , ज़मीन से यह झाग के रूप में निकलता है  |  यानी शुद्ध पेट्रोल और डीजल जमीन से नहीं निकलता है। बल्कि पेट्रोलियम जमीन से निकलता है, पेट्रोल हमें काले और गाढ़े द्रव के रूप में मिलता है जिसे पेट्रोलियम (Petrolium ) कहते हैं। पेट्रोलियम एक लैटिन शब्द है जिसका मतलब चट्टानों से निकलने वाला तेल होता है।

कई देशो में  पेट्रोलियम के कुएं हैं, जिनसे क्रुइड आयल (Crude oil )  यानी कच्चा तेल निकाला जाता है। इस तेल में पेट्रोल, नैप्थ, मिट्टी का तेल, डीजल, मोम,  जैसी कई चीज़े मिली हुई होती है   |  इसके बाद इस कच्चे तेल को साफ करने के लिए कारखानों (Refinery )  में लाया जाता है, जिन्हें पेट्रोल रिफाइनरी ((Refinery ) ) कहा जाता है| इस कच्चे तेल को फिर बड़े बेलनाकार (cylindrical )  बर्तनों में डाला जाता है और गरम किया जाता है। फिर अलग-अलग तापमान पर कच्चे तेल में मौजूद चीजों को अलग-अलग पाइपों के जरिए बाहर निकाला जाता है |

 इस तरह हमें पेट्रोल के रूप में पेट्रोलियम का एक हिस्सा मिलता है। इस कच्चे तेल को अलग-अलग तापमान पर उबाला जाता है और अलग-अलग तापमान पर अलग-अलग चीजें देकर वाष्पीकृत (vaporized )  किया जाता है। जैसे  जब इसे 260 डिग्री सेल्सियस पर उबाला जाता है, तो आपको डीजल मिलता है, 180 डिग्री सेल्सियस पर मिट्टी का तेल प्राप्त होता है, 110 डिग्री सेल्सियस पर आपको पेट्रोल मिलता है। इसके अलावा कच्चे तेल से और भी कई चीजें मिलती हैं जैसे कि मोम, ग्लिसरीन, पैराफिन वैक्स और डामर। इस प्रक्रिया को आंशिक आसवन ( Fractional Distillation ) कहा जाता है |

पेट्रोल निकालने के बाद उसे  दूसरी फेक्टरी में ले जाया जाता है, इसके साथ  ही उसकी जांच भी की जाती है, जिसमें यह देखा जाता है कि पेट्रोल कितना है और फिर पेट्रोल पंप पर भेजा जाता है। आपको बता दें कि कच्चा तेल समुद्र और जमीन दोनों पर पाया जाता है। लेकिन ऐसा नहीं है कि दुनिया में हर जगह कच्चा तेल है। दुनिया में कुछ ही ऐसे स्थान हैं जहां से कच्चा तेल मिलता है। कच्चे तेल का उत्पादन अमेरिका और रूस में भी होता है, लेकिन दुनिया में सबसे ज्यादा कच्चे तेल का उत्पादन अरब देशों में ही होता है। पेट्रोल और डीजल को एक बार इस्तेमाल करने के बाद रिसाइकिल नहीं किया जा सकता है, यानी ये सिर्फ एक बार इस्तेमाल होने वाले आइटम हैं और पेट्रोल-डीजल धरती पर असीमित नहीं हैं, यानी एक दिन उन्हें धरती पर खत्म होना है। और इसी कारण से अब इलेक्ट्रिक वाहनों का निर्माण किया जा रहा है ताकि आने वाले समय में जब पेट्रोल और डीजल जैसी चीजें खत्म हो जाएंगी, हमारा काम जारी रहेगा और हम केवल पेट्रोल और डीजल पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा | इसके साथ ही हमें ऊर्जा के नवीनीकृत स्त्रोत (Reneawable Source ) का इस्तेमाल बढ़ाना होगा |

नवीनीकृत स्त्रोत (Renewable Source ) :

यह वो स्त्रोत है जो की प्रक्रति में असीमित मात्रा में हैं | और जो कभी समाप्त नहीं होंगे | जैसे की सौर ऊर्जा , पवन ऊर्जा आदि |

ऊर्जा संरक्षण के उपाय  (Energy Conservation Measures  )

जिस तरह हम लोग लगातार पेट्रोल और डीज़ल का उपयोग कर रहे है , कुछ सालो में य्ढ़ संसाधन समाप्त हो जाएंगे  |ऐसे में ज़रूरत है की हम ऊर्जा संरक्षण के लिए सही उपाय करे | हम अपने स्तर पर भी ऊर्जा संरक्षण कर सकते है | पेट्रोल और डीज़ल का उपयोग कम करके | इसके लिए जितना संभव हो पैदल चले |कार पूल का इस्तेमाल करे | सौर ऊर्जा का उपयोग करे | घर में जब ज़रूरत न हो तो लाइट और पंखे बंद कर दे | ऐसे कई छोटे छोटे उपाय है जिनको अपने जीवन में आजमा कर हम ऊर्जा संरक्षण कर सकते

We will be happy to hear your thoughts

Leave a reply

Captcha

ScienceShala
Logo
Enable registration in settings - general