यह चौथी औद्योगिक क्रांति का काल है। डेटा, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और क्वांटम कंप्यूटिंग की दौड़ में कई बड़े देश आपस में प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं। कहा जा रहा है कि जो देश डेटा को नियंत्रित करेगा वह पूरी दुनिया को नियंत्रित करेगा। हालांकि, क्वांटम कंप्यूटिंग की दौड़ में आगे हुए बिना ऐसा करना संभव नहीं है। आज दुनिया के देशों के बीच बड़े पैमाने पर सूचना युद्ध चल रहा है। बड़े देश दूसरे देशों के महत्वपूर्ण डेटा को तोड़कर हथियाना चाहते हैं। इसके लिए बड़े पैमाने पर सुपर कंप्यूटर का इस्तेमाल किया जा रहा है। हालांकि, आज के कंप्यूटर क्लासिकल कंप्यूटिंग मॉडल पर काम करते हैं, जिसमें सूचनाओं को प्रोसेस करने में काफी समय लगता है। वे अपना काफी समय बड़े समीकरणों को सुलझाने में लगाते हैं। वहीं, भविष्य के क्वांटम कंप्यूटरों की प्रोसेसिंग पावर आज के सुपर कंप्यूटरों की तुलना में बहुत अधिक होगी। इस कड़ी में आइए जानते हैं कि क्वांटम कंप्यूटर क्या हैं और ये कैसे भविष्य को एक नया रूप देंगे।
आज हमारे और कंप्यूटर के बीच जो भाषा विकसित हुई है उसे बाइनरी लैंग्वेज कहा जाता है। इसे इस प्रकार समझिए कि तालाब के एक ओर A (मनुष्य) खड़ा है और दूसरी ओर B (कंप्यूटर) खड़ा है। दोनों के बीच एक समझ है कि यदि A एक बार प्रकाश को चालू और बंद कर देता है, तो इसका अर्थ वर्णानुक्रम में A होता है। दो बार चालू और बंद करता है फिर बी। इसके आधार पर, हम कंप्यूटर के साथ बाइनरी अंकों की मदद से संवाद करते हैं।
ये बाइनरी अंक 0 और 1 हैं, जिसमें 0 ऑफ स्टेट का प्रतिनिधित्व करता है और 1 ऑन स्टेट का प्रतिनिधित्व करता है। यह प्रक्रिया ट्रांजिस्टर की सहायता से की जाती है। यदि ट्रांजिस्टर बंद है तो 0 और यदि चालू है तो 1. इस प्रकार सभी प्रोग्राम और डेटा साझा किए जाते हैं। 8 बार जब हम इन्हें एक समूह में लाते हैं, तो 1 बिट बनते हैं। इन्हीं आधारों पर हमारा आज का क्लासिकल कंप्यूटर डेटा को प्रोसेस करता है।
क्वांटम कंप्यूटिंग कैसे काम करता है
वहीं, क्वांटम कंप्यूटर इससे बिल्कुल अलग है। यह क्वांटम बिट्स पर काम करता है। जहां आज के क्लासिकल कंप्यूटर 0 और 1 के आधार पर डेटा को प्रोसेस करते हैं या कहें ऑन और ऑफ स्टेट। जबकि एक क्वांटम कंप्यूटर एक ही समय में दोनों संभावित अवस्थाओं में होता है। मतलब यह कि एक ही समय में यह 0 और 1 दोनों अवस्था को दिखाता है और इसकी मदद से यह डेटा को प्रोसेस करता है। इस प्रक्रिया को सुपर पोजिशनिंग के रूप में जाना जाता है। क्यूबिट्स की कार्यात्मकता क्वांटम भौतिकी में क्वांटम उलझाव प्रक्रिया पर आधारित है।
हमारी क्वांटम दुनिया बहुत अजीब है। शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में पाया है कि जब कण क्वांटम अवस्था में देखे जाते हैं, तो वे कण रूप में होते हैं। दूसरी ओर, जब उनका अवलोकन नहीं किया जाता है, तो वे स्वयं को तरंग रूप में बदल लेते हैं। लेकिन वास्तव में वे एक ही समय में तरंग और कण दोनों हैं। जैसे ही हम उनका चयन करते हैं, यह तरंग फलन टूट जाता है और अंत में हमें एक संभावित कण अवस्था प्राप्त होती है। एक क्वांटम कंप्यूटर क्वांटम भौतिकी के इस व्यवहार का अनुकरण करता है।
इसे ऐसे समझें कि जब हम एक सिक्के को हवा में उछालते हैं तो 2 संभावनाएँ होती हैं या तो चित आएगा या पट आएगा। क्लासिकल कंप्यूटर भी इसी पर काम करता है या तो 0 आएगा या 1. वहीं, क्वांटम कंप्यूटर अलग-अलग सिक्कों के सभी संभावित परिणाम बताता है। क्वांटम कंप्यूटिंग वर्तमान में विकास के दौर से गुजर रही है। इसके साथ समस्या यह है कि जैसे ही हम इसे देखते हैं, इसकी अवस्था बदल जाती है। लेकिन वैज्ञानिकों का मानना है कि आने वाले दशक तक हम इसका भी समाधान खोज लेंगे।
क्वांटम कंप्यूटिंग क्योंकि वे कुबिट्स पर काम करते हैं। इसलिए वे हमें एक ही समय में एक प्रश्न के सभी संभावित उत्तर खोज और बता सकते हैं। यह मिनटों में 1 प्रश्न की करोड़ों संभावनाओं और पैटर्न की खोज करता है और हमारे लिए सभी संभावित उत्तर लाता है। क्वांटम कंप्यूटिंग में, डेटा की क्रिप्टोग्राफी बहुत अधिक सटीक है। इसलिए इसे हैक करना लगभग नामुमकिन है। इसकी मदद से हम सबसे बड़े अंतरिक्ष समीकरणों को मिनटों में हल कर सकते हैं, जिन्हें हल करने में कंप्यूटरों को हजारों साल लगते हैं।
क्वांटम कंप्यूटर डेटा को इतनी तेजी से प्रोसेस करते हैं कि एन्क्रिप्टेड संदेशों को मिनटों में आसानी से हैक किया जा सकता है। यह एक बड़ा कारण है, जिससे चीन, अमेरिका और भारत जैसे देश इस तकनीक के विकास में हजारों करोड़ रुपये का निवेश कर रहे हैं। एक बार जिस देश ने इस तकनीक के विकास में महारत हासिल कर ली है, उसके लिए दूसरे देश की सूचना प्रणाली को हैक करना बहुत आसान हो जाएगा।
क्वांटम कंप्यूटर का उपयोग दवाओं को विकसित करने के लिए किया जा सकता है। इसके अलावा ब्रह्मांड से जुड़े कई समीकरण, जिन्हें हल करने में आज के सुपर कंप्यूटर हजारों साल ले सकते हैं। इसकी मदद से इसे कुछ ही मिनटों में हल किया जा सकता है। क्वांटम कंप्यूटर ब्रह्मांड की खोज में क्रांति ला सकते हैं। इसके अलावा इसका उपयोग मौसमी पहलुओं को जानने के लिए भी किया जा सकता है। MIT में Google, IBM, Intel जैसी बड़ी कंपनियां इस तकनीक पर लाखों डॉलर का निवेश कर रही हैं।