मंगल पर अभी तक कितने अभियान भेजे गए है
मंगल ग्रह हमारे सौर मंडल का चौथा ग्रह है ….और हमारी जीवन की उम्मीदों से भरा पहला ग्रह ….आज दुनिया के सभी देश इस कोशिश में लगे है की किस तरह मंगल अपर जीवन की शुरुआत की जा सके ….इसके लिए एक के बाद एक कई अभियान चलाए जा रहे है …जिनमे से कुछ में सफलता मिली है ….और कई फेल हुए है ….अगर पिछले 61 साली की बात करे तो मंगल पर 58 अभियान शुरू किए गए ….जिसमे से केवल 23 में ही सफलता मिली ….बाकी मिशन या तो लॉन्चिंग के दौरान ही फेल ही गए …या मंगल की ऑर्बिट में प्रवेश कार्ट वक्त दुर्घटना का शिकार हो गए ….इस रेस में नासा सबसे आगे है ..उसके बाद रूस ने भी कई बार मंगल पर पहुंचने की कोशिश की …वही इस रेस में इंडिया भी पीछे नहीं है ….
आइए आपको मंगला पर अभी तक भेजे गए अभियानो के बारे में विस्तार से बताते है .
मंगल ग्रह पर पहला मिशन सबसे पहले सोवियत संघ द्वारा शुरू किया गया था। हालाँकि, सोवियत संघ इसमें सफल नहीं हुआ। सोवियत संघ ने पहला मंगल मिशन 10 अक्टूबर 1960 को भेजा था। सोवियत संघ ने मंगल पर लगातार 6 बार मिशन भेजे, लेकिन उनमें से किसी को भी सफलता नहीं मिली। अमेरिका को मिशन मंगल की पहली सफलता 28 नवंबर 1964 को मिली और अमेरिका पहली बार मंगल मिशन में सफल रहा। आइए जानते हैं मंगल ग्रह पर जाने के लिए अब तक कितने मिशन सफल और असफल रहे हैं।
मंगल पर अब तक कुल 58 मिशन भेजे जा चुके हैं, जिनमें से 23 विफल रहे हैं, 31 सफल रहे हैं और 3 विफल रहे हैं। असफल मिशनों में से 10 लॉन्च विफल रहे। 13 अंतरिक्ष यान विफल रहे। 22 सफल मिशनों में से केवल 9 ही वर्तमान में चालू हैं। इस हिसाब से अब तक केवल 49 मिशन ही किए जा सके हैं।
अमेरिका वह देश है जिसने सोवियत संघ के बाद मंगल ग्रह पर सबसे अधिक मिशन भेजे हैं। सोवियत संघ ने 1960 और 1964 के बीच मंगल ग्रह पर 6 मिशन भेजे, लेकिन उनमें से कोई भी सफल नहीं हुआ। ये सभी फ्लाईबाई मिशन थे, यानी मंगल के पास से गुजरने वाले मिशन। 28 नवंबर 1964 को अमेरिका को फ्लाईबाई मिशन की पहली सफलता मिली। यह अमेरिका का पहला मिशन था, जिसके बाद अमेरिका ने 25 फरवरी 1969 को एक और फ्लाईबाई मिशन किया, जिसमें उसे सफलता भी मिली।
27 मार्च 1969 को सोवियत संघ ने पहला ऑर्बिटर मिशन भेजा, जिसमें यह असफल रहा। इसके बाद भी सोवियत संघ ने हार नहीं मानी कई और मिशन मंगल पर भेजे।
2 अप्रैल 1969 का मिशन विफल हो गया। 10 मई 1971 का मिशन भी विफल रहा। लेकिन सोवियत संघ को पहली सफलता 19 मई 1971 को मंगल ग्रह की परिक्रमा करने वाले ऑर्बिटर मिशन में मिली, हालांकि लैंडर और रोवर मिशन विफल रहे। वहीं 28 मई 1971 को भेजे गए मिशन में सोवियत संघ को लैंडर और ऑर्बिटर में सफलता तो मिली लेकिन रोवर मिशन फेल हो गया.
वहीं अमेरिका का पहला ऑर्बिटर 30 मई 1971 को सफल हुआ था। अमेरिका को 20 अगस्त 1975 को लैंडर उतारने में सफलता मिली थी। मंगल ग्रह पर पहला रोबोटिक रोवर उतारने का इतिहास अमेरिका के नाम दर्ज है। 4 दिसंबर 1996 को, अमेरिका ने मंगल की सतह पर सोजॉर्नर नाम का एक रोवर लॉन्च किया। दूसरा रोवर स्पिरिट और तीसरा रोवर ऑर्पुनिटी 2003 में लॉन्च किया गया था।
भारत को पहली बार सफलता मिली भारत ने पहली बार अंतरिक्ष में इतिहास रचा। भारत ने 5 नवंबर 2013 को मंगलयान नाम का एक ऑर्बिटर भेजा, जो एक ही बार में मंगल की कक्षा में प्रवेश कर गया। इससे पहले किसी देश को यह सफलता पहली बार में नहीं मिली थी। भारत के मंगलयान ने सबसे पहले दुनिया को मंगल ग्रह पर पानी की मौजूदगी के बारे में बताया था।और अब भारत मंगल पर अपना दूसरा मिशन शुरू करने की तैयारी में है …जिसके 2024 में लॉन्च होने की उम्मीद है ….इस मिशन का नाम मंगलयान 2 होगा ….ऐसा अनुमान है की इस रॉकेट में एक ऑर्बिटर के साथ एक रॉबर भी होगा …..लेकिन मंगल पर किसी भी रॉबर को बने रहना बहुत मुश्किल है ….क्योंकि यहां का माहोल ऐसा है की यहां सरवाइव करना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है ….ऐसा ही कुछ हाल नासा के इनसाइट के साथ भी हो रहा है ….यह बहुत ही जल्द नष्ट होने वाला है …
नासा के वैज्ञानिकों ने बताया कि उसके सोलर पैनल पर धूल जम गई है। मंगलवार को अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि इनसाइट सौर पैनलों के काम करना बंद करने के बाद भी यथासंभव लंबे समय तक इसका उपयोग करना जारी रखेगा क्योंकि इसमें एक सीस्मोमीटर है, जिसका उपयोग मंगल ग्रह पर भूकंप का पता लगाने के लिए किया जाता है। हालांकि जुलाई के बाद यह संभव नहीं होगा।
उसके बाद भी इस साल के अंत तक इनसाइट की निगरानी की जाएगी, जिसके बाद इसे पूरी तरह से मृत माना जाएगा।
इनसाइट 2018 में मंगल ग्रह पर उतारा गया था । इस वाहन ने वहां 1,300 भूकंप दर्ज किए हैं। उनमें से सबसे शक्तिशाली परिमाण 5 पर मापा गया था, जो अभी दो सप्ताह पहले हुआ था। धूल के कारण मंगल ग्रह पर बेकार हो जाने वाला इनसाइट नासा का दूसरा अंतरिक्ष यान होगा। 2018 में ऑपर्च्युनिटी के साथ भी ऐसा ही हुआ, धूल भरी आंधी ने इसे बेकार कर दिया। फर्क सिर्फ इतना है कि यह एक ही तूफान में टूट गया, जबकि इनसाइट का शटडाउन धीमा रहा है।
लेकिन इसके बाद भी नासा के हौसले काम नही हुए है …और वो लगातार मंगल ग्रह पर बस्ती बसाने के अपने मिशन पर काम एक रहा है ….और उम्मीद है की 2050 तक मंगल ग्रह पर इंसान की पहुंच हो पाएगी |