अमेरिकी लैब के रिटायर चिंपैंजियों की दुख भरी दास्तान (The sad story of retired chimpanzees in American lab)

qaserjahan
6 Min Read


लाइबेरिया एक वीरान टापू है ….जहां अमेरिका की लैब से रिटायर हुए कई चिंपैंजी रहते है ….इन सभी चिंपैंजियो के साथ इंसानों ने कई सालो तक अलग अलग तरह के प्रयोग किए हैं …. और जब इनका शरीर लाचार हो गया तो इन्हे इस वीरान द्वीप पर मरने के लिए छोड़ दिया गया ….यह चिंपैंजी कई सालो तक इंसानों के साथ रहे है ….इसलिए जंगल में रहना और अपना बचाव करना इनके लिए अब बहुत मुश्किल हो गया है .यहां न इन्हे पर्याप्त भोजन नसीब होता है ..और न रहने के लिए सही जगह …ऐसे में पशु चिकित्सक सुना इनके लिए किसी फरिश्ते की तरह है … वो इन्हे भोजन करवाने आते है …..जैसे ही यह आवाज लगाते है ….सभी चिंपेंजी दौड़ कर इनके पास आ जाते है ….और अपनी खुशी जाहिर करते हुए खाने पर टूट पड़ते है ….


अटलांटिक सागर के पास छोटे द्वीपों में से एक, इस निर्जन द्वीप समूह पर कोई मानव बस्ती नहीं है, लेकिन 65 चिंपैंजी निश्चित रूप से यहां बसे हुए हैं। यह पश्चिम अफ्रीकी देश की राजधानी मोनरोविया से लगभग 55 किलोमीटर दूर है। आज भले ही इन चिंपेंजियों को खाना देखकर खुश करने की कोशिश की जा रही हो , लेकिन इनके साथ जो गुजरी है वोदास्तान बहुत दर्द नाक है …
वे 400 चिंपैंजी के एक समूह के सदस्य हैं जिनका उपयोग यूएस-वित्त पोषित अनुसंधान परियोजना के परीक्षण में किया गया था। कई दशकों तक उनके शरीर पर प्रयोग जारी रहे।कुछ जीवों की कई सौ बार बायोप्सी की गई है। अब इन जीवों की देखभाल करने वाली संस्था ह्यूमन सोसाइटी इंटरनेशनल (HSI) की निदेशक सुना कहती हैं, ”उन्हें बहुत चोट लगी है.और उनके साथ बहुत बुरा सुलूक किया गया है .
1974 में लाइबेरिया में चिंपैंजी पर परीक्षण शुरू हुआ। फिर न्यूयॉर्क ब्लड सेंटर (NYBC) ने फ़र्मिंगटन नदी के किनारे बने परिसर में हेपेटाइटिस बी और अन्य बीमारियों से संबंधित जैव चिकित्सा अनुसंधान शुरू किया। 1989 से 2003 तक लाइबेरिया में गृहयुद्ध के दौरान, चिंपैंजी भूख से मर गए थे क्योंकि उनके आसपास के युद्ध में पूरा देश झुलस रहा था। एक गरीब देश में रिसर्च स्टाफ अपनी जेब से पैसे खर्च कर किसी तरह उन्हें जिंदा रख रहा था। 21वीं सदी के पहले दशक के मध्य में कई चिंपैंजी सेवानिवृत्त हो गए, लेकिन उनकी परेशानी खत्म नहीं हुई।
न्यूयॉर्क ब्लड सेंटर ने 2015 में अपनी फंडिंग में कटौती का कारण अभी भी स्पष्ट नहीं है। इसको लेकर काफी विवाद हुआ था।चिंपैंजी को छोटे द्वीपों पर छोड़ा गया जो इस हालत में नहीं था की उनकी देखभाल कर सके । सामाजिक कार्यकर्ताओं ने एक अभियान शुरू किया जिसमें जैकलीन फीनिक्स और एलेन पेज जैसे हॉलीवुड सितारों ने एक याचिका पर हस्ताक्षर किए जिसमें ब्लड बैंक से उनके लिए धन बहाल करने के लिए कहा गया। याचिका अमेरिका में रहने वाले प्राइमेटोलॉजिस्ट ब्रायन हरे ने दायर की थी। इसमें उन्होंने लिखा, “वास्तव में उन्होंने इन गरीब चिंपैंजी को भूख और प्यास से मरने के लिए छोड़ दिया है।”
लाइबेरिया एक बहुत ही गरीब देश है .विश्व बैंक के अनुसार, इसकी 44 प्रतिशत जनसंख्या 1.90 डॉलर प्रतिदिन से कम पर जीवन यापन करती है।


इबोला महामारी के दौरान भी, AYBC द्वारा फंडिंग रोके जाने के बाद भी, अनुसंधान केंद्र के स्थानीय कर्मचारी चिंपैंजी की मदद के लिए आगे आते रहे। सामाजिक संगठनों और अमेरिकी बैंक सिटीग्रुप ने भी मुश्किल समय में राहत के लिए पैसे दिए |

जैसे ही दबाव बढ़ा, एनवाईबीसी अंततः दीर्घकालिक देखभाल के लिए कुछ खर्च करने के लिए सहमत हो गया। 2017 में इसके लिए ह्यूमेन सोसाइटी के साथ एक समझौता हुआ था, जिसमें NYBC ने 6 मिलियन अमेरिकी डॉलर देने का वादा किया था। NYBC ने पैसे रोकने के बारे में सवालों का जवाब नहीं दिया। हालांकि, अब पिछले कुछ वर्षों से लैब में काम कर रहे चिंपैंजी को पशु चिकित्सा देखभाल और दिन में दो बार भोजन मिलता है।
हालांकि, कई चिंपैंजी अभी भी अपने शरीर और दिमाग पर अतीत के घावों को लेकर घूमते रहते हैं। डॉक्टर सुना ने दूसरे द्वीप पर एक चिंपैंजी को दिखाया जिसका एक हाथ नहीं था। सुना ने कहा कि यह जानवर, “निश्चित रूप से अत्याचारों का शिकार हुए है , चिंपैंजी बुलेट, शिकारियों द्वारा मारा गया था और एक हाथ काट दिया गया था । बाद में वह रिसर्च लैब में ले आए | जहां उसके साथ कई परीक्षण किए गए | और बाद में उसे लावारिसो की तरह छोड़ दिया गया …

चिंपैंजी की देखभाल करने वालों को उनके साथ अच्छा व्यवहार करने और सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखने के लिए प्रशिक्षित किया गया है। क्योंकि कई बार यह हिंसक हो जाते है , ऐसे में इन्हे संभालना बहुत मुश्किल होता है |

Share This Article
Leave a Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Captcha