मच्छर क्या है।और कैसे फैलाते हैं बीमारी

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मच्छर क्या है?

Short info :- मच्छर एक हानिकारक कीट है। यह संसार के प्राय सभी भागो में पाया जाता है। यह विभिन्न प्रकार के रोंगो के जीवाणुओं को वहन करता है।

मच्छर गड्ढ़े, तालाबों, नहरों तथा स्थिर जल के जलाशयों के निकट अंधेरी और नम जगहों पर रहता है। मच्छर एकलिंगी जन्तु हैं यानी नर और मादा मच्छर का शरीर अलग-अलग होते हैं।

सिर्फ मादा मच्छर ही मनुष्य या अन्य जन्तुओं के रक्त चूसती है, जबकि नर मच्छर पेड़-पौधों का रस चूसते हैं।

कितने प्रकार के होते हैं?

मुख्यत: बीमारी फैलाने वाले मच्छर तीन तरह के होते हैं। एक वे, जो घरों के साफ पानी में पनपते हैं और जमीन पर रहते हैं। ऐसे मच्छर पांव तक ही काट पाते हैं।

दूसरी तरह के मच्छर मिट्टी के बर्तनों की जगह प्लास्टिक और रबड़ के सामानों में प्रजनन करते हैं और तीसरे प्रकार के मच्छर ठंडे वातावरण (एसी-कूलर) में पनपते हैं।

ये मच्छर ही हैं, जो मलेरिया, चिकनगुनिया व डेंगू जैसी खतरनाक बीमारियों का कारण बनते हैं।

एनोफ़िलीज़ – यह मलेरिया फ़ैलाने वाला कहा जाता है|अनाेफलीज़ (Anopheles) नामक संक्रमित मादा मच्छर के काटने से मनुष्यों के रक्त प्रवाह में ये वाइरस संचारित होता है।

केवल वही मच्छर व्यक्ति में मलेरिया बुखार संचारित कर सकता है, जिसने पहले किसी मलेरिया से संक्रमित व्यक्ति को काटा हो।

एडीज – एडीज़ एजिप्टी, येलो फीवर मच्छर, एक मच्छर है जो डेंगू बुखार, चिकनगुनिया, जीका बुखार, मायारो और पीले बुखार के वायरस और अन्य रोग एजेंटों को फैला सकता है।

क्यूलेक्स – फाइलेरिया एक कृमि जनित मच्छर से फैलने वाला रोग है, जो मादा क्यूलेक्स मच्छर के काटने से फैलता है। यह मच्छर गंदे एवं रुके हुए पानी में पनपते हैं। इस मच्छर के काटने से किसी भी उम्र का व्यक्ति ग्रसित हो सकता है।

Mosquito Life Cycle मच्छर  का जीवन चक्र :-

चाहे कोई भी मौसम हो और घरों में कितनी भी सफाई क्यों न रखी जाए, मच्छरों का प्रकोप देखने को मिलता ही है। मच्छरों के कारण सबसे ज्यादा चिंता सताती है,

बच्चों की। दरअसल, बच्चों का इम्यून सिस्टम कमजोर होता है और उनके बीमार होने की आशंका ज्यादा रहती है।

मच्छरों के काटने से बच्चों को होने वाली बीमारियों से बचाने के लिए आपको सजग होना होगा और अपने घर को भी मच्छर-रहित बनाना होगा।

मच्छर कैसे फैलाते हैं बीमारी :-

“मच्छर कुछ बीमारियों को फैलाते हैं। मच्छर बीमारी नहीं फैलाते हैं बल्कि मच्छर के काटने पर हमारे अन्दर कुछ ऐसे परिजीवी डाल देते हैं, जिनकी वजह से बीमारी होती है।

मलेरिया में मच्छर मलेरिया का कीटाणु मनुष्य में फैलाते हैं और जिसे मलेरिया हो गया है उसे फिर से काट के दूसरे व्यक्ति को फैला देते हैं।ऐसे जन्तुओ को हम वेक्टर कहते हैं।

ये खुद से कोई बीमारी नहीं करते हैं लेकिन बीमारी को इधर से उधर फैलाने का काम करते हैं। मलेरिया किसी को ऐसे नहीं फैलता है बल्कि मच्छर पहले मलेरिया का कीटाणु एक व्यक्ति में डालता है।

फिर उससे निकालकर दुसरे व्यक्ति में डालता है तब यह बीमारी फैलती है। इसलिए मच्छर से सावधान जरुर रहना चाहिए क्योंकि वह बीमारी को इधर से उधर फैलाते हैं।” डॉ अमिता ने बताया।

मच्छर काटता नहीं है :-

मनुष्य का खून मादा मच्छर चूसती है क्योंकि मादा मच्छर को अंडे देने के लिए बहुत ज्यादा एनर्जी की जरुरत होती है। वह सिर्फ इंसानों का ही नहीं बल्कि कुछ जानवरों का भी खून चूसते हैं।

मादा मच्छर को खून की आवश्यकता होती है। नर मच्छर रक्त नहीं चूसते हैं तो वह पेड़ पौधों के रस से अपना काम चला लेते हैं।

कौन से मच्छर दिन में काटते हैं और कौन से रात में :-

कुछ मच्छर दिन में काटते हैं। जो मच्छर दिन में काटते हैं वो एडीज मच्छर होते हैं। यह मच्छर सुबह भोर के समय, सूर्यास्त के समय, जब हल्का धुंधलापण रहता है तब काटता है।

यह मच्छर दिन में काटता है इसलिए लोगों को यह बताया जाता है कि फुल आस्तीन के कपड़े पहने, जिससे मच्छर आपको न काट पाए क्योंकि दिन में आप मच्छर दानी लगाकर तो सोयेंगें नहीं।

इस मच्छर के काटने से डेंगू जैसी बीमारियां फैलती हैं। कुछ मच्छर शाम होने के बाद यानि की अँधेरा होने पर काटते हैं जैसे क्युलेक्स, एनाफिलीज।

यह मच्छर मलेरिया, जापानी इन्सेफेलाइटिस जैसी बीमारियाँ होती हैं। दिन हो या रात आपको मच्छरों से बचना आवश्यक है।

मलेरिया की दवा :-

सैकड़ों साल पहले कुनैन की खोज होने पर दुनिया ने उत्साह और संदेह दोनों के साथ उसका स्वागत किया था. हाल में इस दवा पर फिर से बहस छिड़ी हुई है.

कुनैन के सिंथेटिक संस्करणों- क्लोरोक्वीन और हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन– को कोरोना वायरस का संभावित इलाज बताया गया है जिस पर काफी विवाद है.

मच्छरों के परजीवियों से होने वाली मलेरिया बीमारी सदियों से इंसान को त्रस्त करती रही है. इसने रोमन साम्राज्य को तबाह किया और 20वीं सदी में 15 से 30 करोड़ लोग मलेरिया से मारे गए.

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक अब भी दुनिया की आधी आबादी उन इलाकों में रहती है जहां इस बीमारी का संक्रमण होता है.

‘मलेरिया’ का इटैलियन में अर्थ है ख़राब हवा. इस ग़लत धारणा की वजह से मध्ययुग में इसका इलाज भी ग़लत तरीके से करने की कोशिश होती थी.

शरीर का ख़ून निकालकर, अंगों को काटकर, यहां तक कि खोपड़ी में छेद करके मलेरिया का इलाज किया जाता था.

पेड़ की छाल वाली दवा :-

सिनकोना ऑफ़िसिनैलिस

इस दवा में एक पेड़ की छाल थी जिसे लौंग, गुलाब के पत्तों और कुछ अन्य सूखे पौधों के साथ पीसकर बनाया गया था.

काउंटेस ज़ल्द ही ठीक हो गईं. जिस करिश्माई पेड़ ने उनको ठीक किया था उसे ‘सिनकोना‘ नाम दिया गया. आज यह पेरू और इक्वेडोर का राष्ट्रीय पेड़ है.

कुनैन एक क्षारीय यौगिक है जो सिनकोना की छाल में पाया जाता है. यह मलेरिया फैलाने वाले परजीवियों को मार सकता है.

मच्छरों से बचाव के उपाय :-

ऐसे कपड़े पहनें जो मच्छरों से बचाव करें :-

गहरे, चटकीले रंग और फूलों वाले प्रिंट मच्छरों और अन्य कीटों को ज्यादा आकर्षित करते हैं। हल्के रंग के कपड़े, जो आपके शरीर को ज्यादा से ज्यादा ढक सकें, मच्छरों से बचाव का सबसे अच्छा तरीका हैं।

आपके कपड़े थोड़े ढीले भी होने चाहिए, क्योंकि एकदम टाइट फिटिंग के कपड़ों में से मच्छर आसानी से काट सकते हैं।

हल्की बनावट और सूती कपड़े ज्यादा पहनें, जो आपको शरीर ढका होने पर भी ठंडा रखने में मदद करें।

मच्छरदानी लगाएं :-

सोते समय पर मच्छरदानी लगाना काफी प्रभावी रहता है, बशर्ते मच्छरदानी के अंदर कोई मच्छर न फंसा हुआ हो।

स्थानिक मच्छर निरोधक का इस्तेमाल करें :-

स्थानिक रिपेलेंट जैसे कि वेपोराइजर, कॉइल, स्प्रे एरोसोल और मैट आदि उन कमरों या जगहों से मच्छरों को दूर भगा देते हैं जहां वे पनपते हैं।

बहरहाल, इन निरोधकों से निकले धुएं या भभक की वजह से कुछ लोगों को जलन, एलर्जी, खांसी और सिरदर्द हो सकता है।

जिस कमरे में आप प्लग-इन रिपेलेंट, स्प्रे या कॉइल का इस्तेमाल करें उसे हवादार रखें। जिस कमरे में कॉइल जल रही हो या वेपोराइजर चल रहा हो, उसे बंद करके वहां बैठे या सोए नहीं।

याद रखें कि लिक्विड वेपोराइजर, कॉइल और मैट को अन्य मच्छर निरोधकों जैसे कि त्वचा पर लगाने वाले रिपेलेंट, पूरी बाजू के कपड़े और मच्छरदानी आदि के साथ ही इस्तेमाल करना चाहिए।

नियमित पेस्ट कंट्रोल करवाएं :-

नियमित तौर पर पेस्ट कंट्रोल करवाना मच्छरों और अन्य कीटों को दूर रखने का प्रभावी तरीका है।

हालांकि, आपको कुछ एहतियात बरतने की जरुरत है और स्प्रे को सांस के जरिये अंदर लेने से बचना होगा, क्योंकि इसके साइड इफेक्ट जैसे कि सिरदर्द, चक्कर, मिचली या श्वसन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।

बेहतर है कि जिस दिन कीट नियंत्रण किया गया हो उस दिन कमरे या फिर घर से बाहर ही रहें। जब आप वापिस आएं, तो खिड़कियां खोल दें,

ताकि ताजा हवा अंदर आ सके, इससे दुर्गंध और बची हुई भभक भी बाहर निकल सकेगी।

मच्छर मारने वाले रैकेट इस्तेमाल करें :-

मच्छर मारने वाले रैकेट या जैपर इनकी नैट के संपर्क में आने वाले मच्छरों को इलैक्ट्रिक करंट के जरिये मारते हैं।

इन रैकेट को कहीं भी ले जाना आसान होता है और मच्छर आस-पास घूम रहे हों तो ये प्रभावी काम करते हैं।

इन्हें नियमित चार्ज करना पड़ता है। सुनिश्चित करें कि इन्हें सुरक्षित स्थान पर शिशुओं और छोटे बच्चों से दूर चार्जिंग पर लगाया जाए।

आपको यह भी ध्यान देना होकि बच्चे चार्ज किए रैकेट की नैट को न छूएं क्योंकि इससे उन्हें चोट पहुंच सकती है।

दरवाजों व खिड़कियों पर जाली या स्क्रीन लगवाएं :-

मच्छरों को घर में घुसने से रोकने के लिए दरवाजों और खिड़कियों पर तारों की जालियां या नायलॉन की स्क्रीन लगवाएं। समय-समय पर जांच करती रहे।

ये उपाय मच्छरों और कीटों को आपके घर में घुसने से रोकेंगे। और साथ ही आप हर समय ताजा हवा का आनंद भी ले सकेंगी।

घर और आसपास की जगहों में सफाई रखें :-

मच्छर ठहरे हुए पानी में पनपते हैं। मच्छर के अंडों से मच्छर निकलने में सात से 10 दिन का समय लगता है।

इसलिए, समय-समय पर पानी के पात्रों में पानी बदलती रहें। पानी जमा होने की जगहों पर, जैसे कि खुली हुई नालियों, छोटे तालाबों और ऐसी अन्य जगहों पर केरोसीन तेल की कुछ बूंदें डाल दें।

मच्छरों को मारने वाली दवा का नियमित रूप से छिड़काव भी मच्छरों को पनपने से रोकता है।

घरेलू उपायों के इस्तेमाल में एहतियात बरतें :-

आपने सुना होगा कि आधे कटे नींबू में लौंग लगा कर रखना, पिसी हुई कॉफी, संतरे के छिलके या प्याज की परतों को रखने से मच्छर दूर रहते हैं। हालांकि, ये उपाय कितने प्रभावी हैं इस बारे में कोई निर्णायक प्रमाण नहीं हैं।

यदि आप ये प्राकृतिक या घरेलू उपाय आजमाना चाहें तो पूरी तरह इनपर आश्रित न रहें। सुनिश्चित करें कि आप इनके साथ मच्छरों को दूर रखने के अन्य उपाय भी अपनाएं।

इनमें शामिल हैं पूरी लंबाई के कपड़े पहनना, मच्छरदानी लगाना और त्वचा पर लगाने वाले निरोधकों का इस्तेमाल।

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