सौर ऊर्जा क्या है?
सूर्य से प्राप्त होने वाली ऊर्जा को सौर ऊर्जा कहते है | एक अनुमान के अनुसार प्रथ्वी पर आने वाली सौर ऊर्जा की मात्रा लगभग 173 ट्रिलियन टेरावाट है , जो की पूरी दुनिया की ऊओर्जा ज़रूरत के दस हज़ार गुना से भी ज्यादा है | इस बात से स्पष्ट होता है की विश्व में सौर ऊर्जा का विशाल भण्डार है | जो की कभी ख़तम नहीं हो सकता |
परंपरागत रूप से, दुनिया की बिजली की जरूरतें तेल, प्राकृतिक गैस और कोयले जैसे जीवाश्म ईंधन(Fossil Fuel ) से पूरी होती रही हैं। लेकिन इनके दो नुक्सान भी है , वे ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming ) और अम्ल वर्षा (Acid Rain ) का कारण बन प्रदूषण में एक बड़ी भूमिका निभाते हैं, जो पर्यावरण में कई जानवरों, पौधों और मनुष्यों पर नकारात्मक प्रभाव डालता है |
जीवाश्म ईंधन जैसे कोयला पेट्रोल डीज़ल पूरी दुनिया में नहीं पाए जाते , बल्कि दुनिया के केवल कुछ ही देशो में इनके भंडार है , जिसकी वजह से पूरी दुनिया को इन देशो पर आश्रित रहना पड़ता है | जबकि सोर ऊर्जा ( solar energy ) ऊर्जा का अक्षय संसाधन (Renwewable source ) है | इसका अर्थ है की यह कभी समाप्त नहीं होगा | इसके अलवा यह ऊर्जा का हरित स्त्रोत (Green Source ) है , क्यूंकि इसके उत्पादन में किसी तरह का प्रदूषण नहीं होता |
तो अब हम आसानी से समझ सकते है की सौर ऊर्जा क्या है ?
सौर ऊर्जा वह ऊर्जा है जो सूर्य द्वारा ऊष्मा और प्रकाश के रूप में उत्पन्न होती है। यह पृथ्वी पर ऊर्जा के सबसे नवीकरणीय (Renewable ) और आसानी से उपलब्ध स्रोतों में से एक है। यह प्रचुर मात्रा में और मुफ्त में उपलब्ध है । प्राचीन ज़माने में भी लोग सौर ऊर्जा का उपयोग करते थे , वो आवर्धक लेंस (magnifyning glass ) पर सूर्य की किरणों को केन्द्रित करके आग लगाने में इसका उपयोग करते थे |
मुख्य रूप से सौर ऊर्जा का उपयोग इसे ऊष्मा ऊर्जा में परिवर्तित करने के लिए किया जा सकता है या इसे बिजली में परिवर्तित किया जा सकता है।
सौर ऊर्जा से बिजली कैसे बनती है (how to make electricity from solar energy ?)
यह तकनीक सौर फोटोवोल्टिक (Solar Photovoltaic PV ) उपकरणों या सौर सेल (Solar cells ) की मदद से की जाती है इस प्रकिया में सूर्य की ऊर्जा को बिजली में परिवर्तित किया जाता है |
Photoelectric effect –
जब कोई पदार्थ किसी विद्युत् चुम्बकीय विकिरण ( Electromagnetic radiation ) से ऊर्जा को ग्रहण करने के बाद इलेक्ट्रान उत्सर्जित करता है , तो इसे Photoelectric effect है |
आपने कई घरो की छतो पर सोलर पेनल (Solar Panel ) लगे हुए देखे होंगे , लेकिन क्या आपने कभी सोचा है की यह काम कैसे करते है | आज हम आपको सोलर पेनल से बिजली बनने की पूरी प्रक्रिया को आसान शब्दों में समझाने का प्रयास करेंगे |
सोलर पेनल सोलर सेल की मदद से काम करते है , और सबसे प्रचलित सोलर सेल सिलिकोन से बना हुआ होता है | जो की अर्द्धचालक (Semiconductor ) है |यह तत्व हमारी पृथ्वी में काफी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है |
अर्द्धचालक (Semiconductor )
– यह वो तत्व होते है जो कुछ हद तक चालक (Conductor ) होते है , लेकिन पूरी तरह नहीं | मतलब यह अपने में से कुछ ख़ास परिस्तिथियों में खुद में से बिजली प्रवाह होने देते है | और कुछ ख़ास परिस्तिथियों में नहीं |
यह सोलर सेल क्रिस्टल और सिलिकोन लेयर के बीच मौजूद रहते है |और हर सिलिकोन आइटम अपने पास के सिलिकोन आइटम से 4 मज़बूत बंध से स जुड़ा हुआ होता है | जिससे की इलेक्ट्रान अपनी जगह से विचलित नहीं हो पाते | सिलिकोन के बाहरी बांड में 4 इलेक्ट्रान होते है | इसमें विद्युत् करने के लिए इसमें किसी दुसरे तत्व की डोपिंग (Dopping ) की जाती है जैसे एल्युमिनियम या फोस्फोरस , जब इसमें एल्युमिनियम की डोपिंग की जाती है तो यह P टाइप सिलिकोन बन जाता है मतलब इसकी बाहरी कक्षा में अभी भी एक इलेक्ट्रान कम होता है , और जब फोस्फोरस की डोपिंग की जाती है तो यह N टाइप सिलिकोन बन जाता है यानि इसकी बाहरी कक्षा में एक इलेक्ट्रान अधिक हो जाता है | जब इन दोनों को आपस में जोड़ दिया जाता है तो इनके बीच में एक depletion zone बन जाता है , जो की इलेक्ट्रान के विस्थापन को रोक देता है , इस परिस्तिथि में अगर हम N type वाले भाग को ऊर्जा देते है या गर्म करते है तो उसमे स ईलेक्ट्रोन निकल कर depletion zone से उलटी दिशा में प्रवाहित होने लगते है | जिसकी वजह से विद्युत् ऊर्जा उत्पन्न होती है | क्यूंकि इलेक्ट्रान के प्रवाह को ही करेंट कहा जाता है | सोलर सेल में भी यही प्रक्रिया दोहराई जाती है , इसलिए सोलर सेल को PN टाइप सेल कहते है | इसमें N टाइप सिलिकोन ऊपर और P टाइप सिलिकोन नीचे होती है | N टाइप सेल की चौड़ाई P टाइप से कम होती है | और जब इस पर सूर्य की किरने पड़ती है तो N टाइप से इलेक्ट्रान निकल कर तार में प्रबाहित होते है , ऐसे में अगर हम सर्किट के बीच में बल्ब लगा दे तो वो जलने लगेगा |
सोलर सेल की कमी –
सोलर सेल की एक बहुत बड़ी कमी है वो यह की यह DC (direct current ) उत्पन्न करता है |जबकि हमें अपने घरो में AC करंट की ज़रूरत पड़ती है | इसके लिए सोलर सेल से उत्पन्न होने वाली ऊर्जा को इन्वर्टर में स्टोर कर लिया जाता है | और बाद में ज़रूरत पड़ने पर इसका उपयोग किया जा सकता है |
ऊर्जा के नवीनीकृत स्त्रोत (Renewable resources )
सौर ऊर्जा ऊर्जा का स्त्रोत है , क्यूंकि यह प्रक्रति में असीमित मात्रा में पाई जाती है .ऊर्जा के रूप जो प्रकति में असीमित मात्रा में मौजूद है उन्हें गैर परम्परागत स्त्रोत कहते है | जैसे सौर ऊर्जा , पवन ऊर्जा , जल ऊर्जा
ऊर्जा के अनवीनिकृत स्त्रोत (Non-renewable resources )
ऊर्जा के जो स्त्रोत प्रक्रति में सीमित मात्रा में पाए जाते है , उन्हें Fossil fuel कहते है | इन्हें बनने में करोडो सालो का समय लगता है |और अगर इनका लगातार इस्तेमाल किया जाए तो यह समाप्त हो सकते है | जैसे पेट्रोल , डीज़ल , कोयला आदि |
ऊर्जा संरक्षण (Energy Conservation )
हमें आपको सौर ऊर्जा के बारे में बताया , यह ऊर्जा का नवीनीकृत स्त्रोत है ., जिसके प्रयोग से हम पेट्रोल डीज़ल पर अपनी निर्भरता को कम आकर सकते है | और इससे प्रदूष्ण भी नहीं फैलता है | इसलिए ऊर्जा संरक्षण के लिए जितना हो सके उतना सौर ऊर्जा का उपयोग करे | इसके साथ ही बिजली का दुरूपयोग न करे | |पब्लिक ट्रांसपोर्ट का उपयोग करे | पोलिथीन की जगह कपडे के थैलों का उपयोग करे | ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाए