बंगाल की खाड़ी में हर साल चक्रवाती तूफान आते हैं और भारत के पूर्वी तटों पर तबाही लेकर आते हैं. इस साल आये तूफान “अम्फान” का नामकरण थाईलैंड (Thailand) ने किया था यह नाम 2004 में सुझाए गए 64 तूफानों की सूची में आखरी नाम था. अम्फान के बाद आए चक्रवात का नाम “निसर्ग” बांग्लादेश ( Bangladesh) द्वारा दिया गया. उसके बाद सोमालिया के तट से जो तूफान टकराया था उसका नाम “गति” जो भारत (India) द्वारा दिया गया था अब जो तूफान आया है उसका नाम “निवार” ईरान द्वारा दिए गए नाम पर रखा गया है और भविष्य में आने वाले तूफान का नाम मालदीव (Maldives) द्वारा दिए गए नाम की सूची में से रखा जाएगा. तूफानों का नामकरण कैसे किया जाता है आइए यह जानते हैं.
क्या है चक्रवात
कम वायुमंडलीय दाब के चारों ओर गर्म हवाओं की तेज आंधी को चक्रवात कहते हैं पृथ्वी को दो गोलार्द्ध में बांटकर देखा जाता है पहला उत्तरीय गोलार्द्ध (Northern Hemisphere) और दक्षिणी गोलार्द्ध (Southern Hemisphere). अपने स्थान और तीव्रता के आधार पर, एक उष्णकटिबंधीय चक्रवात को अलग-अलग नामों से जाना जाता है जैसे हरिकेन, टाइफून, ट्रोपिकल स्टोर्म, साइक्लोनिक स्टोर्म, ट्रोपिकल डिप्रेशन, और केवल साइक्लोन. उत्तरी गोलार्द्ध में जो तूफान आते हैं वह वामावर्त (घड़ी की दिशा के विपरीत) (Anti-Clockwise) बनते हैं और जो दक्षिणी गोलार्द्ध में आते हैं वह दक्षिणावर्त (Clockwise) बनते हैं भारत उत्तरी गोलार्द्ध में स्थित है एवं यहां पर उठने वाले उष्णकटिबंधीय चक्रवात (Tropical Cyclone) घड़ी की सुई की विपरीत दिशा में चलते है
क्यों आते है चक्रवात
गर्म क्षेत्रों के समुद्र में सूर्य की भयंकर गर्मी से हवा गर्म होकर अत्यंत कम वायुदाब का क्षेत्र बना देती है। हवा गर्म होकर तेजी से ऊपर आती है और ऊपर की नमी से संतृप्त होकर संघनन से बादलों का निर्माण करती हैं। रिक्त स्थान को भरने के लिए नम हवाएं तेजी के साथ नीचे जाकर ऊपर आती हैं। परिणाम स्वरूप ये हवाएं बहुत ही तेजी के साथ उस क्षेत्र के चारों तरफ घूमकर घने बादलों और बिजली कड़कने के साथ-साथ मूसलाधार बारिश करती हैं। कभी-कभी तो तेज घूमती इन हवाओं के क्षेत्र का व्यास हजारों किमी में होता हैं। उष्णकटिबंधीय चक्रवात (Tropical Cyclone) की उत्पत्ति जल पर ही होती है और स्थलीय भाग पर यानी जमीन पर पहुंचते-पहुंचते वो नष्ट हो जाते हैं इसीलिए कहते हैं कि वह लैंडफॉल कर रहा है. चक्रवातों का जो वेग होता है पवनों के वेग से बहुत तीव्र होता है इसी कारण वर्षा ज्यादा होती है और जल्द ही यह तूफान खत्म हो जाते हैं.
कौन करता है चक्रवात का नामकरण
हाल ही में आए चक्रवात का नाम “निवार” ईरान द्वारा रखा गया था आपको भी लग रहा होगा कि तूफान आया तो भारत में है और नाम इरान ने रखा आखिर क्यों? और तूफानों का नाम क्यों रखा जाता है? तूफानों का नाम इसलिए रखा जाता है ताकि आपको चक्रवात को समझने में आसानी हो. साल 2000 में विश्व मौसम विभाग संगठन के 8 सदस्य देशों ने मिलकर आने वाले चक्रवातों के नाम तय करने का फैसला किया था जिसमें बांग्लादेश, म्यांमार, थाईलैंड, इंडिया, श्रीलंका, मालदीव, ओमान, और पाकिस्तान शामिल थे.
2018 में पांच देश ओर शामिल हुए जिसमें ईरान (Iran), कतार (Qatar), सऊदीअरब (Saudi Arabia), यमन (yemen) , यूएई (UAE), थे. पहले 8 देश थे तो सभी देश 8-8 नाम सुझाते थे. अब कुल देश 13 है तो अब सभी देश 13-13 नामों की सूची बनाते हैं और क्षेत्रीय मौसम विभाग संगठन को भेजते हैं और चक्रवात की स्थिति में उस लिस्ट से अल्फाबेटिकल ऑर्डर ( Alphabetically order) में यानी अंग्रेजी की अल्फाबेट के हिसाब से देखा जाता था कि किस देश की बारी है और जिस देश की बारी होती थी उसके द्वारा दिए गए नामों की सूची में से चक्रवात का नाम रख दिया जाता था. यह सूची पहले से ही तैयार होती है इस काम को साल 2004 में क्षेत्रीय विशिष्ट मौसम केंद्र (Regional Specialized Meteorological Center) ने किया. पूरी दुनिया में ऐसे बहुत से मौसम विभाग हैं जिसमें से एक भारत का मौसम विज्ञान विभाग भी है जो दिल्ली में स्थित है.
1953 से पहले से ही National Hurricane Center और World Meteorological Organization तूफानों और उष्णकटिबंधीय चक्रवातों का नाम रखते थे.
चक्रवातों का नाम रखते समय निम्न बातों का ध्यान रखा जाता है
चक्रवातों का नाम रखते समय ध्यान रखा जाता है जो भी नाम चक्रवातों का रखा जाए वह लिंग, राजनीतिक,धर्म, संस्कृति के प्रति निष्पक्ष होना चाहिए. ताकि किसी भी नाम से लोगों की भावनाओं को कोई ठेस ना पहुंचे साथ ही नाम छोटा, आसान और अंग्रेजी के 8 अल्फाबेट से अधिक नहीं होना चाहिए इस बात का भी खास ध्यान रखा जाता है.