Short info:- आपने किताबों में टीवी पर इंटरनेट पर सोलर सिस्टम के बारे में देखा और सुना होगा कि कैसे प्लेनेट सन के येराउंड रोटेट करते रहते हैं, एक 2d प्लेन में ऐसा क्या कारण है कि प्लेनेट जो है,वो 3 डाइमेंशन में सन के एराउंड रूटेड करने के बजाए।
एक ही प्लेन में रूटेड करते हैं,अगर आपको जानने में इंटरेस्ट है, कि ऐसा क्यों होता है, तो इस आर्टिकल को पूरा अंत तक जरूर पढ़े।
हालांकि यह बिल्कुल 2d प्लेन में रोटेट नहीं कर रहे होते हैं,बल्कि कुछ Angel का डिफरेंस होता है।और सबसे ज्यादा डिफरेंस होता है,मरकरी में 6.3° का लेकिन अब ओवरऑल यदि observe करें तो यह बहुत कम डिफरेंस होता है।
ये ऐसा लगता है कि ये एक ही प्लेन में रोटेट कर रहा है, अगर हमें इसके बारे में जानना है तो हमें पास्ट में जाना पड़ेगा जब हमारे सोलर सिस्टम का फॉर्मेशन हुआ था पास्ट में हमारा सोलर सिस्टम कुछ ऐसा दिखता था इस आकृति का
लगभग 4.6 मिलियन वर्ष पहले बहुत सारे गैस के बादल और डस्ट पार्ट का एक बहुत बड़ा समूह मिलकर एक गोलाकार सेप का फॉर्मेशन करते हैं जिसमें कई सारे गैसज होते हैं,जैसे हाइड्रोजन और हीलियम।
ये एक ठोस और सॉलिड बॉडी नहीं है,जो की एक सोलर गैस के बादल और डस्ट का घेरा है जो एक दूसरे को ग्रेविटेशनल फोर्स की वजह से अपनी तरफ खींच रहे हैं, वैसे शुरू से ही इसमें बहुत कम वेलोसिटी का एक रोटेशन पाया जाता या।
और फिर ये किसी कारण से एक दूसरे में कोलैब्स होने लगे, ढेहने लगे एस्ट्रोनॉट्स के मुताबिक ये अपने पास में होने वाले सुपरनोवा की वजह से हुआ होगा, सुपरनोवा जो है वो सबसे बड़ा विस्फोट माना जाता है। स्पेस में
इसके दो कारण होते हैं, यह किसी मरे हुए स्टार में अचानक न्यूक्लियर फ्यूजन स्टार्ट हो जाने के वजह से या फिर बहुत ही भारी तारो या गैसों के झुंड मे ग्रेविटेशनल कोलैबस होने की वजह से ।
हालांकि ग्रेविटी के वजह से यह लगभग उसी आकार सेप में बने रहते हैं, पहले से इसकी साइज छोटी जिसकी वजह से ये और तेजी से घूमने लगते हैं,और इसकी घूमने की सबसे मेन वजह कंजर्वेशन ऑफ एंगुलर मोमेंटम है।
वो किसी भी बॉडी के ऊपर लगता है,और ये बताता है, कि कब तक रोटेट करती रहेगी कंजर्वेशन ऑफ एंगुलर मोमेंटम का मतलब होता है,कि एंगुलर मोमेंटम के के लिए हमेशा कंजरभ रहेगी सेम रहेगी जब तक कोई बाहरी मोमेंटम उसे चेंज ना करें दे।
बेसिकली एंगुलर मोमेंटम जो है वह दो चीजों पर डिपेंड करता है।
- कि कैसे उसका मास वहां पर फैला हुआ है|
- और दूसरा कि वह किस स्पीड से घूम रहा है|
अगर इनमें से कोई एक भी चेंज हो गई तो टोटल एंगुलर मोमेंटम को स्टैंड रखने के लिए दूसरा उसी के येकॉर्डिंग चेंज हो जाता है। और इसी कारण के वजह से इतना बड़ा गैसों का झुंड छोटा होने लगता है तो इसकी स्पीड और तेज हो जाती है घूमने की।
और इसकी स्पीड इतनी तेज हो जाती इसमें एक फोर्स जेनरेट हो जाती है, जो इसे एक फ्लैट डिस्क शेप में बदल देता है, और फिर कई हजार सालों में अलग-अलग गैसेज मिलकर अलग-अलग प्लैनेट्स और स्ट्राइड्स बना लेते हैं। तो कुछ इस तरह से हमारे सोलर सिस्टम का फॉरमेशन होता है।
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