आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस क्या है ( Artificial Intelligence kya hai ?)

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आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस क्या है
आपने रोबोट , ट्रांसफार्मर जैसी फिल्में जरूर देखी होंगी , जिसमे रोबोट अपने आप से सारे निर्णय लेने लगते है , यानी उनमें कृत्रिम दिमाग विकसित हो जाता है , इसे ही विज्ञान की भाषा में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कहा जाता है | यह विज्ञान की वह शाखा है जिसपर अभी सब से ज्यादा काम चल रहा है | वैज्ञानिक कोशिश कर रहे है की वो इस तरह की मशीने विकसित कर पा जो बिना किसी इंसानी मदद के ही बिलकुल इंसानों की तरह काम कर पाए |


AI का फुल फॉर्म आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ( Artificial intelligence ) होता है| इस के अंदर मशीनों को मानव बुद्धि प्रदान की जाती है, या यूं कहें कि उनका दिमाग इतना उन्नत बना दिया जाता है कि वे इंसानों की तरह सोच सकते है और काम कर सकते हैं।यह विशेष रूप से कंप्यूटर सिस्टम में ही किया जाता है। इस प्रक्रिया में मुख्य रूप से तीन प्रक्रियाएं शामिल होती हैं और वे हैं पहली सिखाना (जिसमें जानकारी मशीनों के दिमाग में डाल दी जाती है और उन्हें कुछ नियम भी सिखाए जाते हैं ताकि वे किसी दिए गए कार्य को पूरा करने के लिए उन नियमों का पालन करें), दूसरा है Reasoning ( इसके अंतर्गत मशीनों को निर्देश दिया जाता है कि वे रिजल्ट की ओर बढ़ने के लिए बनाए गए नियमों का पालन करें ताकि वे एक सही समय पर सही रिजल्ट निकाल सके ) और तीसरा है खुद के की गई काम में कमियां निकलना , मतलब मशीन अपनी की गई गलतियों को खुद ही सुधार सके | यह पूरी प्रोसेस बिलकुल इंसानी दिमाग की तरह ही है , जिस तरह हमारा दिमाग जो देखता और समझता है उसके आधार पर निर्णय लेकर अपने आने वाले काम के लिए निर्णय करता है , और अपने द्वार की गई गलतियों को न दोहराने की कोशिश करता है | लेकिन यहां यह काम इंसानी दिमाग के द्वारा नही बल्कि मानव के द्वारा बनाए गए कंप्यूटर के द्वारा किया जाता है | मतलब हम कह सकते है की इंसानी दिमाग की सारी विशेषताएं एक मशीन में मौजूद दिमाग में डाल दी जाती है , जिससे वह काफी बेहतर तरीके से काम कर सके |

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की शुरुआत कैसे हुई ( Artificial intelligence ki shuruaat kaise hui )


आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की शुरुआत 1950 के दशक में हुई थी, लेकिन इसके महत्व को 1970 के दशक में पहचाना गया।इस दिशा में पहल करने वाला पहला देश जापान था और 1981 में फिफ्थ जेनरेशन ( Fifth Generation ) नाम से एक योजना शुरू की।इसमें सुपर कंप्यूटर के विकास के लिए 10 वर्षीय कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की गई।इसके बाद अन्य देशों ने भी इस ओर ध्यान दिया। ब्रिटेन ने इसके लिए ‘एल्वी’ नाम का एक प्रोजेक्ट बनाया।यूरोपीय संघ के देशों ने भी ‘एस्प्रिट’ नाम से एक कार्यक्रम शुरू किया।इसके बाद 1983 में कुछ निजी संगठनों ने मिलकर ‘माइक्रो-इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कंप्यूटर टेक्नोलॉजी’ कंसोर्टियम की स्थापना की, ताकि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर लागू होने वाली उन्नत तकनीकों जैसे वेरी लार्ज स्केल इंटीग्रेटेड सर्किट को विकसित किया जा सके। और अब इस दौड़ में पूरी दुनिया के देश शामिल हो चुके है |
1965 में इंटेल के सह-संस्थापक गॉर्डन ई. मूर ने दुनिया के सामने एक नई थ्योरी पेश की। इस सिद्धांत में, उन्होंने समझाया कि कंप्यूटर में उपयोग किए जाने वाले ट्रांजिस्टर हर दो साल में अपनी प्रसंस्करण शक्ति (processing power ) को दोगुना कर देते हैं। बाद में मूर के इस नियम को मूर के नियम के नाम से जाना जाने लगा। आज जिस गति से कंप्यूटर की प्रोसेसिंग स्पीड और उसकी कार्य करने की क्षमता बढ़ती जा रही है। मूर लॉ के अनुसार आने वाले समय में कंप्यूटर की यह क्षमता और भी तेजी से बढ़ेगी। ऐसे में आज दुनिया के कई बड़े अरबपति और विशेषज्ञ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के विकास को लेकर काफी चिंतित नजर आ रहे हैं. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के आगमन के बाद, एक नया चर्चा केंद्र इस बात का विषय बन गया है कि क्या AI मानव बुद्धि को पछाड़ देगा? इस सवाल की गंभीरता का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि तकनीकी क्षेत्र से जुड़े कई विशेषज्ञ इस पर एकमत हैं। वे संभावना व्यक्त कर रहे हैं कि आर्टिफिशियल जनरल इंटेलिजेंस के विकास से मनुष्य विकास की दौड़ में पिछड़ सकता है।


आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के प्रकार ( Artificial intelligence ke prakaar )


आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को कई प्रकारों में विभाजित किया जा सकता है, लेकिन उनमें से सबसे महत्वपूर्ण हैं

1) वीक एआई ( weak AI )

2) स्ट्रॉन्ग ए आई ( Strong AI )
इस प्रकार के AI को संकीर्ण AI भी कहा जाता है, इन AI सिस्टम को इस तरह से डिज़ाइन किया गया है कि ये केवल एक विशेष कार्य करते हैं। उदाहरण के लिए, इसमें वर्चुअल पर्सनल असिस्टेंट जैसे कि Apple का Siri कमजोर AI का एक बेहतरीन उदाहरण है।
Strong AI :-
इस प्रकार की कृत्रिम बुद्धि को सामान्य कृत्रिम बुद्धि भी कहा जाता है। इस प्रकार के AI सिस्टम में एक सामान्यीकृत व्यक्ति की बुद्धि होती है, ताकि समय आने पर, यदि इसे कोई कठिन कार्य दिया जाए, तो वह आसानी से उसका समाधान खोज सकता है।
Weak AI :-
ट्यूरिंग टेस्ट 1950 में गणितज्ञ एलन ट्यूरिंग द्वारा विकसित किया गया था, जिसका उपयोग यह पता लगाने के लिए किया गया था कि क्या कंप्यूटर भी इंसानों की तरह सोच सकते हैं या नहीं।
AI को चार भागों में वर्गीकृत किया गया है, जो इस प्रकार हैं।

प्रतिक्रियाशील मशीनें (Reactive machines)
आपने डीप ब्लू का नाम सुना है यह एक आईबीएम शतरंज प्रोग्राम है जिसने 1990 के दशक में गैरी कास्परोव को हराया था। डीप ब्लू को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि यह शतरंज बोर्ड के टुकड़ों की पहचान कर सकता है और उसके अनुसार भविष्यवाणियां कर सकता है।

लेकिन इसकी अपनी कुछ मेमोरी ( Memory ) नहीं होती है जिससे कि यह अपनी पिछली चाल के बारे में याद रख सके जिसका उपयोग वह भविष्य में कर सके। यह संभावित चालों का विश्लेषण करता है – अपने और अपने प्रतिद्वंद्वी के – और फिर उसके अनुसार सबसे अच्छा रणनीतिक कदम चुनता है।
डीप ब्लू और Google के AlphaGO को संकीर्ण उद्देश्यों के लिए डिज़ाइन किया गया है लेकिन इन्हे अन्य कामों के लिए उपयोग नहीं किया जा सकता |

लिमिटेड मेमोरी ( Limited memory )
इस प्रकार के AI सिस्टम अपने भविष्य के निर्णय लेने के लिए अपने पिछले अनुभवों का उपयोग करते हैं। स्वायत्त वाहनों (autonomous vehicles ) में उपयोग किए जाने वाले सॉफ्टवेयर को इस तरह से डिजाइन किया जाता है।

इस तरह भविष्य में होने वाली दुर्घटनाओं को कुछ हद तक रोका जा सकता है |

थ्योरी ऑफ माइंड ( Theory of mind )
यह एक मनोविज्ञान शब्द है। यह एक काल्पनिक अवधारणा है। इससे यह पता चलता है कि दूसरों के अपने विश्वास, इच्छाएँ और इरादे हैं जिनका उनके निर्णयों पर प्रभाव पड़ता है।इस प्रकार का AI अभी इस दुनिया में मौजूद नहीं है। लेकिन उम्मीद है की जल्द ही इस तरह के AI सिस्टम भी विकसित कर लिए जाएंगे |

सेल्फ अवेयरनेस ( Self awareness)
इस श्रेणी के अंतर्गत AI सिस्टम की अपनी आत्म-जागरूकता होती है, उनकी अपनी चेतना होती है।जिन मशीनों में आत्म-जागरूकता होती है वे अपनी वर्तमान स्थिति को समझते हैं और उसी जानकारी का उपयोग करके वे समझते हैं कि दूसरे क्या महसूस करते हैं। इस प्रकार का AI अभी इस दुनिया में मौजूद नहीं है।
AI के उदाहरण
• स्वचालन ( automation ) ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा सिस्टम और प्रक्रिया के कार्य स्वचालित होते हैं। उदाहरण के लिए, रोबोटिक प्रक्रिया स्वचालन को प्रोग्राम किया जाता है ताकि वे आसानी से बार बार दोहराने वाले कामों को कर सके |
यह दो प्रकार का होता है – RPA और IT
RPA और IT Automation में अंतर यह है कि RPA में यह परिस्थितियों के अनुसार ढल जाता है, जबकि IT Automation में ऐसा नहीं होता है।

• मशीन लर्निंग एक ऐसा विज्ञान है जिसमें कंप्यूटर बिना प्रोग्रामिंग के काम करता है। डीप लर्निंग मशीन लर्निंग का ही एक हिस्सा है जिसमें प्रेडिक्टिव एनालिटिक्स ऑटोमेटेड होता है।

मशीन लर्निंग के मुख्य रूप से तीन एल्गोरिदम हैं: पर्यवेक्षित शिक्षण, जहां डेटा सेट को पैटर्न कहा जाता है और जो नए डेटा सेट को लेबल करने के लिए उपयोग किया जाता है, दूसरा अनसुपर्वाइज्ड लर्निंग है, जहां डेटा सेट लेबल नहीं होते हैं, लेकिन वे सॉर्टिंग के आधार पर किया जाता है उनकी समानता और असमानता।

तीसरा है रीइन्फोर्समेंट लर्निंग, जहां डेटा सेट को लेबल नहीं किया जाता है लेकिन कुछ कार्रवाई और अधिक कार्रवाई करने के बाद एआई सिस्टम को फीडबैक दिया जाता है।

• मशीन विजन एक ऐसा विज्ञान है जिसकी सहायता से हम कंप्यूटर को देखने में सक्षम हो सकते हैं। मशीन विजन में, कंप्यूटर एनालॉग-टू-डिजिटल रूपांतरण और डिजिटल सिग्नल के साथ-साथ कैमरे की मदद से दृश्य जानकारी को कैप्चर और विश्लेषण (analysis ) करता है।

इसकी तुलना मनुष्य की आंखों से भी की जाती है, लेकिन मशीनी दृष्टि की कोई सीमा नहीं है और वे दीवारों के पार भी देख सकते हैं। इसलिए मेडिकल फील्ड में भी इनका बहुत उपयोग होता है।

• प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण (natural language processing )) एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें एक कंप्यूटर प्रोग्राम की मदद से एक मशीन द्वारा मानव भाषा को समझा जाता है। यह बिलकुल इस तरह है की हम मानव की तरह कंप्यूटर को कमांड दे और वो हमारी बात का सही जवाब दे |

उदाहरण के लिए, आप केवल स्पैम डिटेक्शन ले सकते हैं, जिसमें कंप्यूटर का प्रोग्राम यह तय करता है कि कौन सा टेक्स्ट ओरिजिनल ईमेन है और कौन सा स्पैम ईमेल। एनएलपी के मुख्य कार्यों में टेक्स्ट ट्रांसलेशन, सेंटीमेंट एनालिसिस और स्पीच रिकग्निशन शामिल हैं।

• पैटर्न पहचान मशीन लर्निंग की एक शाखा है जो डेटा में पैटर्न की पहचान करती है और बाद में डेटा विश्लेषण में उपयोग की जाती है।

• रोबोटिक्स एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें रोबोट के डिजाइन और निर्माण पर अधिक ध्यान दिया जाता है। हम ऐसे कार्यों के लिए रोबोट का उपयोग करते हैं जो हम मनुष्यों के लिए बहुत कठिन हैं।

क्योंकि ये मुश्किल से मुश्किल काम बहुत ही आसानी से कर लेते हैं और वो भी बिना किसी गलती के। उदाहरण के लिए, हम उनका उपयोग कार प्रोड्यूशन की असेंबली लाइन में करते हैं।

AI के उपयोग ( AI ke upyog )

  • एआई का सबसे बड़ा उपयोग स्वास्थ्य सेवा उद्योग ( medical field ) में है। इससे मरीजों का बेहतर इलाज करना मुमकिन होता है वह भी कम से कम खर्च में। इसलिए अब कंपनियां अस्पतालों में एआई का इस्तेमाल कर रही हैं ताकि बेहतर और तेज मरीजों का इलाज सुचारू रूप से हो सके।
    2,रोबोटिक प्रोसेस ऑटोमेशन की मदद से अब मशीनों कई तरह के वाले कार्य किए जा रहे हैं। मशीन लर्निंग एल्गोरिदम अब एनालिटिक्स और सीआरएम प्लेट पर है
    3,AI की मदद से अब ऑटोमेटेड ग्रेडिंग की जा सकती है ताकि शिक्षकों को बच्चों की पढ़ाई में अधिक समय मिल सके। एआई की मदद से किसी भी छात्र की अच्छी तरह से जांच की जा सकती है, क्या उसकी जरूरत है, वह किन विषयों में कमजोर है, आदि ताकि उस छात्र की सही तरीके से मदद की जा सके।
    आजकल एआई ट्यूटर्स की मदद से छात्र घर बैठे ही हर चीज का हल ढूंढ रहे हैं। इस वजह से उनकी पढ़ने में रुचि भी काफी बढ़ रही है।
    4,Ai की मदद से वित्तीय संस्थानों ( financial institution ) को काफी लाभ मिल रहा है। क्योंकि कंपनियों को पहले डेटा एनालिसिस में बहुत पैसा और समय लगाना पड़ता था, लेकिन अब ऐसा नहीं है, अब AI बहुत ही कम समय में सब कुछ कर देता है
  • AI की मदद से आज बड़े बड़े निर्माण आसानी से की जा सकत है , जिन कामों को करने में पहले सैकड़ों लोग लगते थे अब उन्हें अब केवल कुछ मशीनों की मदद से किया जा सकता है |

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